जबलपुर,मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने चार दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को असंवैधानिक करार देते हुये 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने के निर्देश दिए हैं। ऐसा न होने पर राज्य सरकार को कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। हाईकोर्ट इसके पहले भी वर्ष 2014 और 2018 में जूडा की हड़ताल को असंवैधानिक करार दे चुका है। हाईकोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर याचिकाकर्ता शैलेन्द्र सिंह द्वारा अंतरिम आवेदन लगाये जाने पर हाईकोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की, कि कोरोना काल में डॉक्टर अपनी शपथ भूल गये, शासन की ओर से उपस्थित हुए महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने दलील दी कि सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की 6 सूत्रीय मांगों में से 4 सूत्रीय मांगों को मंजूर कर लिया, लेकिन वर्तमान में संकटकाल को देखते हुये मांगों को पूरा करने के लिये सरकार को वक्त चाहिए। ऐसे में एक तरह से जूडा सरकार को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रही है। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की, कि डॉक्टर अपनी शपथ भूल गये लेकिन हम अपनी शपथ नहीं भूलें।
हाईकोर्ट ने इस कोरोना काल में जूनियर डॉक्टरों की चल रही हड़ताल की निंदा की, और कहा कि इस अभूतपूर्व कठिन समय में डॉक्टरों को हड़ताल का सहारा नहीं लेना चाहिए था। यह एक महत्वपूर्ण समय है जब डॉक्टरों के कृत्य की सराहना नहीं की जा सकती जाती है। हड़ताल पर जाने के लिए जूनियर डॉक्टरों के आचरण को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका डब्लयूपी 1882/14 में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश मो. रफीक एवं न्यायमूर्ति सुजय पॉल ने यह टिप्पणी करते हुए जारी हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया। वहीं 24 घंटे के भीतर काम फिर से शुरू करने का निर्देश दिया। ऐसा नहीं करने पर सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है। गौरतलब है की मध्यप्रदेश शासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुये जूनियर डॉक्टर्स पिछले चार दिनों से हड़ताल पर हैं. जहां एक तरफ मध्यप्रदेश शासन इस हड़ताल को ब्लैकमेलिंग और अनैतिक करार दे रही थी, तो आईएमए सहित कई बड़े संगठन जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल में खुले तौर पर सामने आ रहे थे. अब देखना है कि हाईकोर्ट के पैâसले के बाद जूनियर डॉक्टर काम पर लौटते है कि सर्वोच्च न्यायालय जाने का पैâसला लेते है इस बारें में जूडॉ ने अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।