वाशिंगटन,अगले पांच साल में धरती का तापमान अस्थायी रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट से लोगों में दहशत है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अब 40 फीसदी संभावना है कि अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान अस्थायी रूप से पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। यह भी कहा गया है कि संभावना का प्रतिशत साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया पहले से ही पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित दीर्घकालिक वार्मिंग 1.5-डिग्री सीमा को पार कर रही है।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह जलवायु परिवर्तन के सबसे विनाशकारी प्रभावों से बचने के लिए अंतिम सीमा है। पेरिस समझौते का लक्ष्य एक साल के बजाय 30 साल के औसत से अधिक तापमान को देखना है।जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वाष्पीकरण की दर बढ़ती है और गर्म हवा अधिक नमी धारण कर सकती है। जलवायु परिवर्तन भी वातावरण और महासागर में परिसंचरण पैटर्न को बदल सकता है। डब्लूएमओ की रिपोर्ट में अटलांटिक महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बढ़ने की संभावना की भविष्यवाणी की गई है। इससे उत्तरी अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में सूखे होने की संभावना है। इतना ही नहीं अफ्रीका के साहेल और ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ आ सकती है। संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) के महासचिव पेटेरी तालास ने बताया कि यह इस बात को रेखांकित करता है कि हम उस सीमा के और करीब पहुंच गए हैं। इतना ही नहीं हम आगे आने वाले वर्षों में इस खतरे के और नजदीक पहुंच रहे हैं।
तालास ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए किए गए इस अध्ययन को जागने वाली खतरे की घंटी करार दिया है।अध्ययन के अनुसार, 2021 से 2025 तक हर साल कम से कम 1 डिग्री सेल्सियस गर्म रहने की संभावना है।डब्लूएमओ रिपोर्ट के अनुसार, अबतक रिकॉर्ड किए गए तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक 2020 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक आधार रेखा से 1.2 डिग्री सेल्सियस ऊपर था। न्यूयॉर्क शहर में नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के निदेशक गेविन श्मिट ने कहा कि वार्षिक तापमान में थोड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है, लेकिन ये दीर्घकालिक रुझान असहनीय दर्द देने वाला है। नासा के इस वैज्ञानिक ने चेतावनी देते हुए रहा कि पक्के तौर पर यह लगता है कि हम इन सीमाओं को पार करने जा रहे हैं। और ऐसा इसलिए है क्योंकि सिस्टम में देरी है, सिस्टम में जड़ता है और हमने अभी तक वास्तव में वैश्विक उत्सर्जन में बड़ी कटौती नहीं की है।
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि हाल के दिनों की तुलना में लगभग सभी क्षेत्रों में अगले पांच वर्षों में गर्म होने की संभावना है। डब्लूएमओ नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन सहित कई स्रोतों से तापमान डेटा का उपयोग करता है। एनओएए के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन में जलवायु विश्लेषण और संश्लेषण शाखा के प्रमुख रसेल वोस ने कहा, तापमान में बदलाव औसतन और चरम तापमान दोनों में हो रहा है। गर्म तापमान क्षेत्रीय और वैश्विक वर्षा को भी प्रभावित करते हैं। रिपोर्ट में 90 फीसदी संभावना की भी भविष्यवाणी की गई है कि उन वर्षों में से कोई एक 2016 की तुलना में आजतक के इतिहास का सबसे गर्म साल बन सकता है।