मप्र में जूडॉ की हड़ताल से कोविड सेवाएं प्रभावित, मानदेय बढ़ाने की कर रहे है मांग

 

भोपाल, प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टर मानदेय बढ़ाने समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। मंगलवार को जू‎डॉ ने कोविड संबंधी ड्यूटी भी बंद कर दी। इससे पहले सोमवार को उन्होंने इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी हैं। इससे ओपीडी और वार्ड में मामूली असर पड़ा है। मालूम हो ‎कि कोविड वार्ड में पूरे समय ड्यूटी जूनियर डॉक्टर करते हैं। इनके काम बंद करने से मरीजों को परेशानी होगी। अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी जूनियर डॉक्टर महीने भर में दूसरी बार हड़ताल कर रहे हैं। इसके पहले छह से आठ मई के बीच उन्होंने इन्हीं मांगों को लेकर आंदोलन किया था। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उनकी मांगों पर सहमति जताई थी, इसके बाद जूडा ने आंदोलन खत्म कर दिया था। अब वित्त विभाग ने जूडा की मानदेय बढ़ाने संबंधी मांग पर अड़ंगा लगा दिया है। विभाग ने कहा है कि मानदेय में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की मांग जूडा ने की है। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा और सागर में मिलाकर करीब तीन हजार जूनियर डॉक्टर हैं। जूडॉ की प्रमुख मांगों में मानदेय में 24 फीसद बढ़ोतरी कर प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिए क्रमश: 55 हजार से बढ़ाकर 68200, 57 हजार से बढ़ाकर, 70680 ओर 59 हजार से बढ़ाकर 73160 किया जाए। मानदेय में हर साल छह फीसद इंक्रीमेंट लगाया जाए। कोविड ड्यूटी को अनिवार्य ग्रामीण सेवा माना जाए। अभी सिर्फ उन्हीं डॉक्टरों की कोरोना ड्यूटी को इसमें शामिल किया गया है जो कोर्स पूरा होने के बाद ड्यूटी कर रहे हैं।जूडा व उनके स्वजन के इलाज के लिए अस्पताल में विशेष व्यवस्था की जाए। कोविड ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों को प्रमाण पत्र दिया जाए, जिसके आधार पर भविष्य में उन्हें किसी भी सरकारी नौकरी में 10 फीसद अतिरिक्त अंक दिए जाएं। इस बारे में स्टेट जूडा प्रेसीडेंट डॉ अरविंद मीणा का कहना है ‎कि हम आंदोलन नहीं करना चाहते। मुझे भी मरीजों की चिंता है। हड़ताल में रहकर भी बीच-बीच में मरीजों को देख रहे हैं। मंत्री जी ने हमारी मांगें मान ली थी, लेकिन वित्त विभाग सहमत नहीं है।
मानदेय बढ़ाने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदेश भर में जूडॉ हड़ताल पर
भोपाल, प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टर मानदेय बढ़ाने समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। मंगलवार को जू‎डॉ ने कोविड संबंधी ड्यूटी भी बंद कर दी। इससे पहले सोमवार को उन्होंने इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी हैं। इससे ओपीडी और वार्ड में मामूली असर पड़ा है। मालूम हो ‎कि कोविड वार्ड में पूरे समय ड्यूटी जूनियर डॉक्टर करते हैं। इनके काम बंद करने से मरीजों को परेशानी होगी। अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी जूनियर डॉक्टर महीने भर में दूसरी बार हड़ताल कर रहे हैं। इसके पहले छह से आठ मई के बीच उन्होंने इन्हीं मांगों को लेकर आंदोलन किया था। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उनकी मांगों पर सहमति जताई थी, इसके बाद जूडा ने आंदोलन खत्म कर दिया था। अब वित्त विभाग ने जूडा की मानदेय बढ़ाने संबंधी मांग पर अड़ंगा लगा दिया है। विभाग ने कहा है कि मानदेय में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की मांग जूडा ने की है। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा और सागर में मिलाकर करीब तीन हजार जूनियर डॉक्टर हैं। जूडॉ की प्रमुख मांगों में मानदेय में 24 फीसद बढ़ोतरी कर प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिए क्रमश: 55 हजार से बढ़ाकर 68200, 57 हजार से बढ़ाकर, 70680 ओर 59 हजार से बढ़ाकर 73160 किया जाए। मानदेय में हर साल छह फीसद इंक्रीमेंट लगाया जाए। कोविड ड्यूटी को अनिवार्य ग्रामीण सेवा माना जाए। अभी सिर्फ उन्हीं डॉक्टरों की कोरोना ड्यूटी को इसमें शामिल किया गया है जो कोर्स पूरा होने के बाद ड्यूटी कर रहे हैं।जूडा व उनके स्वजन के इलाज के लिए अस्पताल में विशेष व्यवस्था की जाए। कोविड ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों को प्रमाण पत्र दिया जाए, जिसके आधार पर भविष्य में उन्हें किसी भी सरकारी नौकरी में 10 फीसद अतिरिक्त अंक दिए जाएं। इस बारे में स्टेट जूडा प्रेसीडेंट डॉ अरविंद मीणा का कहना है ‎कि हम आंदोलन नहीं करना चाहते। मुझे भी मरीजों की चिंता है। हड़ताल में रहकर भी बीच-बीच में मरीजों को देख रहे हैं। मंत्री जी ने हमारी मांगें मान ली थी, लेकिन वित्त विभाग सहमत नहीं है।

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