जबलपुर,नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में एसआईटी लगातार जांच पड़ताल में लगी हुई है। मुख्य आरोपी सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा को तीन दिन की रिमांड पर लेने के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ शुूरू कर दी। मोखा को शहर से कहीं दूर अंजान स्थान पर रखा गया है। यहां बतादें कि मोखा के बेटे हरकरण मोखा को भी पुलिस ने रिंमांड पर ले रखा है। बाप-बेटे को आमने सामने बैठकार पूछताछ की जा रही है। कहा जा रहा है कि मोखा पुलिस को और पुलिस विवेचना के एंगल को गुमराह करने में जुटी हुई है। सूत्रों का भरोसा किया जाये तो एसआईटी के कुछ धुरंदर अधिकारी विवेचना को पूरी तरह से अपनी पकड़ मे ले रखा हैं। वरिष्ठ अधिकारी को गुमराह कर रहे हैं और नकली रेमडेसिविर का मामला उन निरीह अस्पताल कर्मचारियों व उन लोगों पर थोपने की तैयारी चल रही है जो इस पूरे मामले से अंजान थे और सिर्पâ अपने मालिक का हुक्म मानने की ड्यूटी कर रहे थे। बेरहाल अंजाने में की गई गलती भी अपराध तो अपराध ही है लेकिन अंजाने में आदेश निर्देशों का पालन करने वालों के प्रति पुलिस का सॉफ्ट कॉर्नर दिखाई नहीें दे रहा जबकि मुख्य भूमिका अदा करने वालों के प्रति पुलिस का रवैया संवेदनशील और बचाव की मुद्रा में दिखाई दे रहा है।
पुलिस रिमांड पर लेने के बाद पूछताछ में अब तक सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीतसिंह मोखा द्वारा पुलिस को गुमराह किये जाने की जानकारी मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक मोखा ने पुलिस को पूछताछ में यह जानकारी दी है कि गुजरात पुलिस की कार्रवाई होते ही उसने इंजेक्शन नष्ट किए, दवाओं व इंजेक्शन की सारी डीलिंग देवेश चौरसिया ही करता रहा, अब एसआईटी द्वारा मोखा द्वारा दिए गए कथनों को क्रास चेक करने के लिए देवेश चौरसिया को एक दिन की रिमांड पर लेगी।
एसआईटी को पूछताछ में मोखा ने बताया कि उसे इंजेक्शन के नकली होने का उस वक्त पता चला है कि जब एक दो मरीजों को रिएक्शन होने लगा, लेकिन वह कुछ समझ नहीं पा रहा था, इसके बाद जब गुजरात पुलिस ने कार्रवाई की तो लगा कि कुछ गड़बड़ है, तभी इंजेक्शनों को नष्ट कराया, अब सवाल यह उठता है जब उसे ऐसा लगा कि इंजेक्शन नकली है तो पुलिस अधिकारियों को या फिर थाना को सूचना क्यों नहीं दी गई. वहीं मोखा का कहना है कि अस्पताल में दवाओं से लेकर इंजेक्शन की खरीददारी देवेश चौरसिया द्वारा ही की जाती रही, भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन से ही देवेश ही बात करता रहा, देवेश ने इंदौर से इंजेक्शन मंगवाने के लिए आईडी मांगी थी तो बेटे हरकरण ने अपने दोस्त प्रखर से आईडी मांगी, जिसपर प्रखर ने अपने नौकर दिव्यांग की आईडी उपलब्ध करा दी, इसे लेकर जरुर प्रखर से बात हुई है।
उधर दूसरी ओर आशा नगर अधारताल निवासी भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन ने जो बातें पुलिस को बताई है वे बिलकुल भिन्न है, जिससे एसआईटी भी हैरत में है. एसआईटी की एक टीम ने इंदौर में सपन जैन से पूछताछ की कर एक सीडी भी तैयार कराई है, वही देवेश से पूर्व में की गई पूछताछ में भी कई जानकारियां सामने आ चुकी है. मोखा ने कहा कि सारी डील सपन ने ही की थी, मोखा ने यह भी कहा कि एक नम्बर का बिल न देने पर इसका भुगतान भी नहीं किया है. जबकि सपन ने अपने पूर्व के बयान में कहा था कि रीवा के सुनील मिश्रा का नम्बर उसे देवेश व मोखा से मिला था, इसके बाद ही उसने बात की थी. यहां तक कि सपन ने यह भी कहा था कि मोखा ने दवाइयों के बिलों के भुगतान के बदले नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लाने के लिए कहा था, उसे तो गुजरात की फर्म की जानकारी ही नही थी. इस तरह से सरबजीतसिंह मोखा द्वारा पुलिस को गुमराह किया जा रहा है।
देवेश का मैसेज आते ही घबरा गया…………
एक मई को मामले का पर्दाफाश होने के बाद देवेश को मैसेज कर इंजेक्शन के बारे में सपन से पूछताछ करने के लिए कहा, नकली इंजेक्शन का पता चलने के बाद घबरा गया, इसके बाद कुछ प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारियों से चर्चा की लेकिन कोई उचित मार्गदर्शन नहीं मिला, कुछ समझ न आने पर सबूत नष्ट करने के लिए इंजेक्शन घर में बुलाए और गर्म पानी में डालकर रैपर गलवाकर नौकरों से तुड़वाकर फिकवा दिए।
इसलिए की रिकार्ड में हेरापेâरी …………..
पूछताछ में एसआईटी को मोखा ने बताया कि सरकारी रिकार्ड में कम इंजेक्शन ही मिल रहे थे, जबकि मरीजों को इसकी तुलना में ज्यादा इंजेक्शन लगे, कुछ की व्यवस्था परिजनों ने की तो कुछ मोखा ने उपलब्ध कराए, जिसमें नकली इंजेक्शन भी शामिल रहे. आडिट से बचने के लिए रिकार्ड को माडिफाई कराया, उसका कहना है कि अपना मोबाइल सिटी अस्पताल में ही स्विच ऑफ करके रखा है वह भी जब्त करा देगा, मोबाइल की जांच भी करा ली जाए।
रोते-रोते बोला बेटे की कोई भूमिका नहीं
रिमांड पर लिए जाने के बाद जब एसआईटी ने मोखा से पूछताछ करना शुरु किया तो वह दो घंटे तक तो रोता ही रहा, रोते हुए उसने यह भी कहा कि मेरे बुरे कर्म ही होगे जो मेरा बेटा हरकरण गलत संगत में पड़ गया, वह नशा भी करता है, उसे रोते हुए यह भी कहा कि इंजेक्शन के कार्टून बुलवाने में दोस्त की आईडी उपलब्ध कराने के अलावा उसके बेटे की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।
गोद ली बेटी सोनिया का किया कन्यादान
एसआईटी को पूछताछ में कहा कि सोनिया से संबंधों के बारे में कहा कि वह उसकी गोद ली गई बेटी है, उसकी आर्य समाज मंदिर में शादी कराई, जिसका कन्यादान भी लिया था, यही कारण है कि सोनिया खत्री पर सबसे ज्यादा भरोसा करता रहा।
सिर्पâ १५ लाख के लिए साख दांव पर नहीं लगाता
एसआईटी के सामने पूछताछत में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा ने कहा कि इतने बड़े अस्पताल और अपनी प्रतिष्ठा का सिर्पâ १५ लाख रूपये के लिए वह दांव पर नहीं लगता। उसे नहीं मालूम था कि इंजेक्शन नकली है। गुजरात में नकली इंजेक्शन पर कार्यवाही होने के तुरंत बाद उसे शक हुआ और उसने स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों से मार्गदर्शन भी चाहा जब उसे कोई रास्ता नहीं सूजा तो उसने इंजेक्शन नष्ट कराने के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आया। उसने कहा कि उसे रूपयों का कोई लालच नहीं था कई लोगों का उपचार निशुल्क किया, कई लोगों के बिल कम किये,कोविड केयर सेंटर की स्थापना के लिए ११ लाख रूपये दान दिये। ऐसे मे क्या १५ लाख रूपये के नकली इंजेक्शन लगाकर कोई अपनी साख दांव पर लगाता।