प्रयागराज, कोरोना कहर में संगम नगरी प्रयागराज में गंगा किनारे ही रेत पर दर्जनों शवों को दफनाया गया था। लेकिन जब यहां पर दफनाए गए शवों पर से रेत हटी और फिर शव बाहर दिखने लगे, तो नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा शवों को फिर से ढका जा रहा है और इनपर बालू डाली जा रही है। हालांकि, प्रशासन तर्क दे रहा है कि शव निकल आए थे अब उन्हे ठीक से दफनाने के लिए ऐसा किया गया है। शवों का हाल तब बुरा हो गया, जब तेज बारिश, हवा के कारण रेत हटने लगी। दफनाए गए शव बाहर आने शुरू हो गए। अब प्रशासन द्वारा यहां शवों पर लगाई गई चुनरी को भी हटाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा जो लकड़ियां आस-पास लगाई गई थीं, उन्हें भी हटा दिया गया है।
अब इसको रोकने के लिए मेयर की देखरेख में नगर निगम कर्मचारियों की एक निगरानी टीम लगा दी गई है, जो लगातार इन इलाकों में बराबर नज़र बनाए हुए है। टीम लगातार लोगों को शव न दफनाने के लिए समझा भी रही है। जिन लोगों की शव दफनाने की परंपरा रही है, उनको एक अलग जगह निर्धारित की गई है। वही शमशान घाटों पर लकड़ियों की पर्याप्त व्यवस्था भी की गई है जिससे लोगों को कोई परेशानी न हो। नदी किनारे शवों को दफनाने से पहले बिहार, यूपी के कई इलाकों में नदियों में शव भी दिखे थे। जिसपर काफी बवाल खड़ा हुआ था और दोनों ही राज्य एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते दिख रहे थे। कोरोना के कहर ने जब से गांवों में अपना पैर पसारना शुरू किया है, तभी से ही इस तरह की भयावह तस्वीरें सामने आने लगी हैं। हिन्दू रीति रिवाज़ में अधिकतर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, सिर्फ कुछ ही मामलों में शवों को इस तरह दफनाने की रीति को अपनाया जाता है। लेकिन कोविड का कहर ऐसा टूटा कि सभी रीति रिवाज किनारे हो गए और दर्जनों की संख्या में प्रयागराज में संगम किनारे शवों को दफनाने का सिलसिला जारी रहा। आसपास रहने वाले लोगों को कहना है कि उन्होंने कभी ऐसा नज़ारा नहीं देखा, जब लगातार इतनी बड़ी संख्या में शव आ रहे हो और लगातार उन्हें दफनाया जा रहा हो। हालांकि, प्रशासन की ओर से बार-बार इन शवों को कोरोना संक्रमित मरीज़ों का शव बताने से इनकार किया जाता रहा। प्रयागराज के आईजी केपी सिंह ने बयान दिया था कि कोविड मरीज़ों के शवों का श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जा रहा है, गंगा किनारे चौकसी बढ़ाई गई है ताकि कोई शव प्रवाहित या दफनाए नहीं।