भोपाल, मप्र में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार कमी दर्ज हो रही है। कोरोना संक्रमण की गति को थामने में सरकार सफल होती जा रही है। संक्रमण की कड़ी को हर हाल में तोडऩे के संकल्प का ही नतीजा हैै कि प्रदेश में संक्रमण औसत दर 6 फीसदी से कम हो गई। 24 घंटे में 2 हजार 936 नए केस मिले, जो पिछले 50 दिनों में सबसे कम आंकड़ा है। इससे पहले 2 अप्रैल को 2,839 केस मिले थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के मुताबिक यह 3 प्रतिशत होना चाहिए। तब यह माना जाएगा कि कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आ गया है। प्रदेश में यह स्थिति लगभग बन गई है।
प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या 53 हजार 653 हो गई है। 10 मई को प्रदेश में 1 लाख 11 हजार 366 एक्टिव केस थे। पिछले 24 घंटे में 6,989 मरीजों स्वस्थ्य हुए हैं। कुल स्वस्थ्य होने वालों का आंकड़ा अब 7 लाख 6 हजार हो गया है, जबकि संक्रमितों की संख्या 7 लाख 67 हजार से ज्यादा हो गई है।
मई के 23 दिन में 1900 मौतें
प्रदेश में संक्रमण दर भले ही कम हो रही है, लेकिन कोरोना से मरने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है। कोरोना से अब तक 7,618 मौतें हो चुकी है। इसमें 23 मई को हुई 60 मौतें भी शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा 8-8 मौते ग्वालियर और जबलपुर में दर्ज की गई, जबकि इंदौर में 5 और भोपाल में 1 मौतें होना बताया गया है। बता दें कि अप्रैल में 1,720 मौतें हुई, जो कुल मौतों का 24 प्रतिशत है। मई माह में अब तक 1,900 मौतें कोरोना से हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां कोरोना का एक भी पॉजिटिव केस हो वहां टेस्टिंग जारी रहे। टेस्टिंग के लिए सघन गतिविधियां संचालित की जाएं। कुछ जिलों में मोबाइल टेस्टिंग व्यवस्था की गई है। यह अच्छा प्रयोग है जिसका अनुसरण आवश्कतानुसार अन्य जिले भी कर सकते हैं।
मप्र मॉडल की सराहना
कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए अपनाए गए मध्य प्रदेश मॉडल की पूरे देश में सराहना हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेे इसकी जानकारी मांगी है। मई तक देशभर में जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ;ते हुए चार लाख को पार गई, वहीं मध्य प्रदेश में संक्रमितों की संख्या और संक्रमण दर लगातार कमी आती जा रही है। अब न तो ऑक्सीजन की किल्लत है और न ही अस्पतालों में बिस्तर की और यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रणनीति बनाकर कोरोना नियंत्रण के लिए अभियान चलाने से। अब तो प्रदेश में बिस्तर का अधिकार की अवधारणा को लागू कर दिया है यानी हर कोरोना पीडि़त का इलाज की सुविधा पाना, उसका अधिकार बना दिया है।
मार्च में कर दी थी महाराष्ट्र की सीमा सील
कोरोना की दूसरी लहर को मुख्यमंत्री मार्च में ही भांप गए थे। उन्होंने महाराष्ट्र की सीमा को सील करते हुए जांच बढाने और वहां से आने वालों को अलग रखकर संक्रमण रोकने की तैयारी शुरू कराते हुए कोरोना नियंत्रण की कमान अपने हाथों में ले ली थी। पांच अप्रैल 2021 को जब वे ट्रक पर सवार होकर भोपाल की सड़कों पर घूम-घूमकर लोगों से मास्क लगाने, शारीरिक दूरी का पालन करने और अनावश्यक घरों से न निकालने की अपील कर रहे थे तो बहुत लोगों को यह अजीब लगा। अगले दिन वे स्वास्थ्य आग्रह पर बैठे और एक दिन का उपवास किया। दरअसल, उन्हें यह आभास हो चला था कि दूसरी लहर अधिक मारक होने वाली है, इसलिए संक्रमण की कड़ी को तोडऩा आवश्यक था।
कोविड सेंटर और होम आइसोलेशन में इलाज
अस्पतालों का बोझ कम करने के लिए सरकार ने कोविड केयर सेंटर और होम आइसोलेशन की रणनीति पर फोकस किया। कम लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने और कमांड सेंटर के माध्यम से डॉक्टरों से लगातार परामर्श दिलाने की व्यवस्था बनाई। घर-घर दवाएं पहुंचाई गईं। यह रणनीति कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोडऩे में कारगर रही। वहीं, किल कोरोना अभियान चलाकर ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर सर्वे करकेे संक्रमितों की पहचान करने का किया गया।
मप्र में 50 दिन बाद संक्रमितों का आंकड़ा 3 हजार से नीचे आया,पॉजिटिविटी रेट 4 प्रतिशत से कम हुआ
