भोपाल,दूध उत्पादक किसानों को एक बार फिर चपत लगने वाली है, क्योंकि इस बार फिर से किसानों को माह के तीसरे सप्ताह में दूसरी बार दूध के उत्पादन में प्रति लीटर डेढ़ रुपए के आसपास घाटा उठाना पड़ेगा। पहले जो दूध सांची दुग्ध संघ द्वारा लिया जाता था, उसका 6 रुपए प्रति फैट किसानों को मिलता था, लेकिन इस भाव में कटौती करते हुए 20 पैसे प्रति फैट की कमी सांची दुग्ध संघ द्वारा की गई है। अब किसानों से 5.80 पैसे फैट के हिसाब से दूध लिया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक एक लीटर भैंस के दूध में 6 से 7 लीटर फैट निकलता है।
किसानों का कहना है कि लगातार पशुओं को खिलाने वाली वस्तुओं के भाव आसमान छू रहे हैं, इस कारण किसानों की लागत में लगातार हो रही बढ़ोतरी से उनकी कमर टूटती जा रही है। एक बार फिर से दूध के भाव कम होने से किसानों की मुश्किल बढऩा लाजमी है। किसानों के लिए लगातार दूध का व्यापार घाटे का सौदा साबित हो रहा है। एक ओर कोरोना महामारी के चलते 2 सालों से लगातार किसान बेहाल नजर आ रहे हैं, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में सरकार व जनप्रतिनिधि भी इस वास्तविकता से रूबरू होने के बावजूद भी किसानों की अनदेखी कर रहे हैं।
किसान नेता बबलू जाधव ने बताया कि सांची दुग्ध संघ किसानों से जुड़ी हुई संस्था है। किसानों की मेहनत से ही अब तक लाभ में चल रही है, लेकिन लगातार किसानों द्वारा उत्पादित दूध के दामों में कमी करना कहीं से भी उचित नहीं है। पिछले डेढ़ साल से लगातार दूध, फल, सब्जी व अनाज के भाव में भारी कमी के चलते किसान बेहाल हैं। अब तक शासन द्वारा कोई राहत राशि नहीं दी गई, उल्टा सरकार भी किसानों के हक के पैसे पिछले 2 साल से लेकर बैठी है। उन्होंने बताया कि प्याज भावांतर, सोयाबीन बोनस, गेहूं बोनस के साथ सोयाबीन किट प्रकोप आरबीसी 6 (4) की राहत राशि भी अब तक किसानों को नहीं दी गई है। उनकी मांग है कि यह राशि जल्द से जल्द दी जाए। साथ ही दूध के दामों में फिर से बढ़ोतरी की जाए। जाधव का कहना है कि भैंस के एक लीटर दूध में 6 से 7 लीटर फैट निकता है। यदि भैंस को दूध देते ज्यादा समय हो जाता है तो यह 8 फैट तक भी पहुंच जाता है। ऐसे में एक औसत आंकड़ा निकालें तो किसानों को इससे करीब डढ़े रुपए का नुकसान एक लीटर दूध में होगा।