जबलपुर, यूं तो मोखा के बीते 20 सालों में डकैती जैसे बड़े मामले सहित अनेक मामलों में आरोपी रहे हैं. लेकिन राजनैतिक रसूख और धन बल के दम वे हमेशा बचते रहे. लेकिन नकली रेमडिसिवर मामले में इतना तूल पकड़ा की अब मोखा के सारे कच्चे चिटठे एक एक बाहर आने लगे हैं. मोखा के साम्राज्य से जुड़े जिन मामलों में कभी अधिकारी कार्यवाही तो दूर सवाल करने से भी बचते थे आज एक एक कर वे मामले भी जांच के दायरे में आ रहे हैं. एमपीआरडीसी की करोड़ों रुपये की 30 हज़ार वर्ग फुट से ज्यादा की जमीन पर तनी अमृत हाइट्स इमारत की जांच अब फास्ट ट्रेक कोर्ट करेगा. इसी से साथ नियम विरुद्ध तरीके से संचालित पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज की जांच भी शुरू हो गई है. गौरतलब है की एमपीआरडीसी की सरकारी जमीन पर तने अमृत हाइट्स मामले में तहसीलदार ने 10 साल पुराने इस विवादित नामांतरण को निरस्त कर सरबजीत सिंह मोखा के नाम का नामांतरण निरस्त किया उसका तबादला कर दिया गया था.
हर काम में अनियमितता
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची में इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग को जीएनएम कोर्स की 40 सीटें, बीएससी नर्सिंग की 60 सीट, पोस्ट बेसिक बीएससी की 20 सीट और एमएससी नर्सिंग की 25 सीटों की मान्यता मिली है. इसके लिए संस्थान के पास नियम अनुसार 23050 वर्ग फीट निर्मित एरिया होना चाहिए. इसी प्रकार इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल एंड रिसर्च को भी पैरामेडिकल काउंसिल ने मान्यता दी है. कॉलेज से मान्यता के लिए संस्था ने जो आवेदन काउंसिल को दिया उसमें कॉलेज की बिल्डिंग का एरिया 78060 वर्ग फीट और निर्मित एरिया 61440 वर्ग फीट बताया गया. इस प्रकार एक ही भवन में नर्सिंग कॉलेज का 23 हजार वर्ग फीट और निर्मित एरिया 61440 वर्ग निर्मित बताया गया है. समझ सकते हैं कि भ्रष्टाचार के आधार पर मान्यता अर्जित की गई और जिम्मेदारों ने भी आंख मूंदकर मान्यता दे दी अब इस मामले में भी जांच की जा रही है.