जबलपुर, सिटी हॉस्पिटल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले को लेकर पीड़ितों के लगातार सामने आने से अस्पताल संचालक सरबजीत मोखा की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। अब तक मंडला,मैहर,राईट टाऊन जबलपुर सहित पांच जगहों से सिटी अस्पताल के खिलाफ मरीजों के परिजनों ने लिखित शिकायत की है जिसकी पुलिस जांच कर रही है।मैहर कटरा बाजार निवासी सुबोध राणा ने ओमती थाने में एक आवेदन दिया हेै जिसमें यह आरोप लगाया है कि 25 अप्रैल को उसके मौसा जी को कोविड होने की वजह से सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था २६ अप्रैल को अस्पताल से फोन आया कि मरीज को बैड चेंज कर दिया गया है और उनकी ऑक्सीजन भी हटा दी गई। लेकिन उसके एक दिन बाद ही उनकी हालत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई। इसी प्रकार राईट टाऊन निवासी रवीश विश्वकर्मा ने ओमती थाने में दिये आवेदन में आरोप लगाया है कि उनके पिता को कोविड पॉजिटिव होने पर १ मई को सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। ७ मई तक सब कुछ ठीक ठाक था विंâतु अचानक उनकी मौत हो गई। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि एक तो अस्पताल ने सीजीएचएस का कार्ड मान्य नहीं किया,उसे शक है कि नकली इंजेक्शन लगाये जाने वजह से उसके पिता की मौत हुई।
रेमडेसिविर और टॉक्सीजुमैल लगने के बाद भी नहीं बची जान
ऐसा ही एक मामला मंडला जिला निवासी पड़ाव वार्ड निवासी ब्यूटी पार्लर संचालिका नसरीन गौरी का है जिसे उसके परिजनों ने २५ अप्रैल को कोविड पॉजिटिव सामान्य मरीज के तौर पर सिटी अस्पताल में भर्ती किया था, लेकिन ६ दिन के अंदर सिटी हॉस्पिटल ने पीड़ित नसरीन गौरी को रेमडेसिविर से लेकर टॉक्सीजुमैल इंजेक्शन तक जगाया दिया और आखिरकार २ मई को नसरीन को मृत घोषित कर दिया। मृतक नसरीन गौरी के बेटे दानिश गौरी ने सिटी हॉस्पिटल में गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि २५ अप्रैल को नसरीन के संक्रमण का स्कोर ४ था और ऑक्सीजन लेवल ९८,नसरीन वैंâसर से पीड़ित हो चुकी थी लिहाजा हमने उन्हें बतौर सतर्वâता सिटी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया।
बिना बिल के 22 हजार रूपए में खरीदे इंजेक्श
दानिश ने बताया कि देर रात हॉस्पिटल से फोन आया कि आपके मरीज की हालत खराब हो रही है। पेâफड़ों में संक्रमण बढ़ चुका है। उन्हें रेमडेसिविर लगाना होगा,इस पर जब मेरी ओर से कहा गया है कि मुझे ये नही मिल रहा है तो अस्पताल वालों ने कहा हमारे पास है,लेकिन उसके लिए आपको एक इंजेक्शन के २२ हजार रूपए लगेंगे। हमने वो पैसे भी नगद जमा कर दिए लेकिन अस्पताल ने उसका बिल नहीं दिया।
रात में परिवार से पैसे जमा कराए और सुबह मृत घोषित कर दिया। दानिश का कहना है कि ३० अप्रैल को जब डॉक्टर को लगने लगा था कि स्थिति खराब हो रही है तो डॉक्टर द्वारा प्लाज्मा थेरपी के लिए कहा गया। पूरा परिवार अब मरीज के लिए प्लाज्मा ढूंढ रहा था और जब परिवार प्लाज्मा ढूंढन में सफल हुआ तो डॉक्टर ने कह दिया अब प्लाज्मा की जरूरत नहीं है और ५० हजार रूपए का टॉक्सीजुमैल इंजेक्शन लगेगा। मरीज के परिवार ने वो इंजेक्शन भी हॉस्पिटल वालों को उपलब्ध करवा दिया। अंत में १ मई की रात में जब बिल ज्यादा हो गया तो परिवार से पैसा जमा करने को कहा गया परिवार द्वारा तत्काल रिश्तेदारें से कर्ज लेकर पैसा जमा किया गया और पैसा मिलते ही २ मई को सुबह नसरीन गौरी की मौत हो गई।
इनका कहना
अधिकारियों का कहना है कि कुछ अधिवक्ताओं सहित ६-७ लोगों ने सिटी अस्पताल में ईलाज के बाद या ईलाज के दौरान नकली दवाईयों की वजह से मौत होने का संदेह जताते हुए शिकायतें ओमती थाने में दी हैं। पुलिस इन शिकायतों की जांच कर रही है।
रोहित कसवानी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर