जबलपुर, कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी कहे जाने वाले जीवन रक्षक दवाई रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने और सप्लाई करने वालों पर गुजरात पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने और मरीजों को देने के आरोप में पुलिस जबलपुर पुलिस सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा एवं अस्पताल कर्मी देवेश चौरसिया को एनसए में गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। बुधवार सुबह राजकोट पुलिस ने जबलपुर पहुंचकर जिला अदालत में सिटी हॉस्पिटल के कर्मचारी देवेश चौरसिया को गुजरात ले जाकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में विस्तृत पूछताछ करने की अनुमति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया हैं। इसके बाद गुजरात पुलिस की दूसरी टीम संबंधित न्यायालय से देवेश चौरसिया का प्रोडक्शन वांरट लेकर जबलपुर के लिए रवाना हो चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक अदालत की अनुमति मिलने एवं प्रोडक्शन वारंट आने के बाद गुजरात पुलिस देवेश को केन्द्रीय जेल से लेकर राजकोट के लिए रवाना होगी। सूत्रों के मुताबिक गुजरात पुलिस ने सरबजीत सिंह मोखा को गुजरात ले जाकर पूछताछ करने की फिलहाल अनुमति नहीं मांगी है। सूत्रों का कहना है कि सरबजीत सिंह मोखा के कोरोना पॉजिटिव आने के कारण अभी अनुमति आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है। संभवत: गुजरात पुलिस बाद में मोखा को पूछताछ के लिए राजकोट ले जा सकती है।
सिटी हॉस्पिटल की जांच में जुटी एसआईटी
सिटी हॉस्पिटल में कथित तौर पर मरीजों के नकली इंजेक्शन लगाये जाने की जांच एसआईटी टीम ने शुरू कर दी है। नकली रेमडेसिविर मामले में गठित एसआईटी अब उन मरीजों की जांच पड़ताल कर रही है जो कोविड के ईलाज के लिए सिटी हॉस्पिटल में भर्ती थे। किन किन मरीजों को किस बैच नंबर का इंजेक्शन लगाया गया,इंजेक्शन अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराये गये या उनकी परीजन लाये, अस्पताल ने उनकी क्या कीमत वूसली आदि तामम बिंदुओं पर एसआईटी जानकारी हासिल कर रही है। मरीजों के परिजनों से एसाआईटी संपर्क कर रही है।