लखनऊ, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव प्रक्रिया के कारण कोरोना संक्रमण बढ़ा है। राज्य में कोरोना के मामलों में 120 गुना उछाल हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 30 जनवरी 2020 से 4 अप्रैल, 2021 में 15 महीने की अवधि के बीच यूपी में कुल 6.3 लाख कोविड केसेस दर्ज किए गए। दरअसल, सभी पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने प्रचार में हिस्सा लिया। जिलों के कोने से रैलियों और भीड़ की तस्वीरें और वीडियो सामने आए। दिल्ली और मुंबई सहित दूर के शहरों में काम करने वाले हजारों लोग वोट डालने के लिए घर लौटे। यूपी में मतदान 15 अप्रैल, 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को हुआ था और मतगणना फिर से बड़े पैमाने पर 2 मई को शुरू हुई और तीन दिनों तक चली। शिक्षकों की यूनियनों ने इसी बीच 700 से अधिक शिक्षकों की सूची जारी की, जिनकी कथित तौर पर कोविड की वजह से मृत्यु हो गई। यूनियनों ने कहा कि टीचर्स चुनाव ड्यूटी पर गए थे और उसी दरान संक्रमित होने से उनकी मौत हुई। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तब चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा। कई उम्मीदवार, उनमें से कुछ विजेता भी संक्रमित होने के बाद मर गए। मार्च की शुरुआत से ही मतदान की तैयारी शुरू हो गई थी। बूथ स्तर पर मतदाताओं तक पहुंचने के लिए राज्य के 50,000 गांवों में प्रमुख राजनीतिक दलों ने बैठकें आयोजित कीं।
इस बारे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर चुनाव करा रहे हैं। हालांकि, आलोचकों ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से स्टे के लिए संपर्क कर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आगरा में, कोविड -19 मामलों की संख्या में चुनाव के बाद पांच गुना उछाल आया। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि कि 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच जिले में 1,612 कोविड-19 के मामले सामने आए थे, यह बढ़कर 8,119 हो गए। 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच सिर्फ छह कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मौत हुई थी जबकि 16 से 30 अप्रैल के बीच यह संख्या बढ़कर 81 हो गई। इस अवधि में, बरेली में आठ गुना वृद्धि देखी गई। चुनाव के बाद, भारी उछाल आया। 16 से 30 अप्रैल के बीच बरेली में 12,500 से अधिक मामले सामने आए है।
बरेली के जिला निगरानी अधिकारी डॉ रंजन गौतम ने बताया कि कोविड मामलों की संख्या चुनावों के साथ काफी बढ़ गई है। पंचायत चुनावों के नतीजों के बाद ऐसे ग्राम प्रधान उम्मीदवारों की सूची जारी की गई है। जिनकी मृत्यु इस दौरान हुई है। निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अब तक कुल 99 प्रधान प्रत्याशियों की जान जा चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक कुशीनगर में 11 उम्मीदवारों, एटा में एक, गोरखपुर में एक, ललितपुर में एक, भदोही में तीन, बाराबंकी में 7, फिरोजाबाद में 2 और कौशांबी में चार प्रधान उम्मीदवारों की मृत्यु हो चुकी है।
मुजफ्फरनगर में एक, वाराणसी में एक, बहराइच में सात, औरैया में तीन, जालौन में दो, मीरजापुर में चार, बांदा में तीन, उन्नाव में 8, बलिया में 6, सीतापुर में एक, अमेठी में 3, हमीरपुर में एक, संबल में दो, सिद्धार्थनगर में एक, कानपुर में दो, मऊ में दो, अंबेडकरनगर में एक, कासगंज में दो, सोनभद्र में पांच, बस्ती में तीन, बुलंदशहर में चार, फर्रूखाबाद में दो, मुरादाबाद में तीन और अलीगढ़ में दो प्रधान उम्मीदवार की मौत हो चुकी है। बता दें कि अब राज्य के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें बिना जांच के ही लोगों की जान जा रही है पर लक्षण सारे कोविड वाले ही हैं।