इंदौर, कोरोना से ठीक होकर परिजनों के लौटने पर बेफिक्र हुए घरों में मौत हो रही है। न मरीज समझ पा रहे हैं न परिजन कि उन्हें कोरोना के दौरान दी गई दवाएं ही मौत का कारण बन रही हैं और इस मौत की वजह डाॅब्टरों से लेकर मरीजों और परिजनों तक की लापरवाही है।
दरअसल कोरोना के इलाज के चलते छोटे से लेकर बड़े अस्पतालों में स्ट्रोराइड के तगड़े डोज दिए जाते हैं जिसके कारण डायबिटिक मरीजों की शुगर 500 से 1000 तक पहुंच जाती है। अस्पताल में तो यह शुगर इंसुलिन से मैनेज की जाती है, लेकिन घर पहुंचने के बाद भी इन दवाइयों का डोज डाॅक्टर जारी रखते हैं पर मरीजों को बढ़ती शुगर की चेतावनी देना भूल जाते हैं। खून के थक्के सीधे हार्ट में पहुंचते हैं जो आर्टरीज, यानी दिल की नसों को ब्लाक कर देते हैं। इसके अलावा लंग्स के कमजोर होने के कारण भी रक्त कोशिकाओं से दिल को रक्त की पूर्ति नहीं हो पाती है और हार्ट अटैक का कारण बन जाती है। देशभर के साथ ही इंदौर शहर में भी कोरोना से घर लौटे मरीज इन्हीं कारणों से मौत का शिकार हो रहे हैं।