जबलपुर, महाकौशल की पत्रकारिता जगत के पितामह देश के वरिष्ठ पत्रकार पंडित भगवतीधर बाजपेयी का गुरूवार को 96 वर्ष की आयू में हृदयाघात से निधन हो गया।उनका निधन महाकोशल के सार्वजनिक जीवन में एक शून्यता दे गया जिसकी भरपाई हो पाना संभव नहीं है। प्रख्यात चिंतक,विचारक पंडित भगवतीधर वाजपेयी जनसंघ काल से न केवल आरएसएस के स्वयं सेवक रहे जबकि जनसंघ की टिकिट में उन्होंने 1967,1970 और 1972में मध्य विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा।वे राजनीति के पुरोधा भी रहे,एक विधारधारा के पोषक होने के वाबजूद प्रतिद्वन्दी विचारधारा वाले राजनेतिक मित्रों के साथ भी उनके पारिवारिक और मधुर संबंध रहे। उन्होंने पत्रकारों की कई पीढ़ियों का निर्माण किया जो आज देश विदेश में ख्यातिलब्ध समाचार पत्र,पत्रिकाओं में अपनी सेवायें दे रहे। या यूं कहें कि पंडित वाजपेयी पत्रकारिता की एक ऐसी पाठशाला थे जहां एडमिशन लेने के लिए नवोदित पत्रकारों के साथ साथ अनुभवशाली लोग भी ललायित रहते थे। अपनी पीढ़ी के लोगों या जूनियर या नवोदित पत्रकार सबको एक समान स्नेह देने वाले पंडित जी राजनीति के साथ साथ व्यवसायिक क्षेत्र में भी दखल रखते थे यहीं वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें जहां नगर अध्यक्ष का दायित्व सौंपा था तो वहीं महाकौशल के व्यवसायियों की प्रमुख संस्था महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष का दायित्व भी उन्होनें निर्वहन किया। दो अलग अलग विधाओं की संस्थाओं में उनका अध्यक्षीय कार्यकाल स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा। सन 1952 में लखनऊ से उन्होेंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के साथ पत्रकारिता प्रारंभ की इसके बाद वे दिल्ली और नागपुर होते हुए 1956 में दैनिक युग धर्म के संस्थापक संपादक बनकर आये और अस्सी के दशक में नागपुर,रायपुर,जबलपुर एडिशन के प्रधान संपादक भी रहे। और जबलपुर उनकी कर्मभूमि बन गई। सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में श्री बाजपेयी ने अपनी छाप छोड़ी. वे आरएसएस से बाल्यकाल में जुड़े और जीवनपर्यंत स्वयंसेवक रहे। वे रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कुल संसद से कार्य परिषद तक के सदस्य तथा पत्रकारिता विभाग के संस्थापक रहे ।
सांध्य दैनिक म.प्र. हिन्दी एक्सप्रेस के संपादक पं.रवींद्र वाजपेयी व म.प्र. पावर ट्रांसमिशन वंâपनी के डायरेक्टर तकनीकी अविनाश वाजपेयी के पिता पं वाजपेयी क्षेत्रीय श्रम कल्याण बोर्ड , नागरिक सहकारी बैंक जैसी अनेक संस्थाओं के वे अध्यक्ष रहे। निजी जीवन में बेहद अनुशासित और आत्मनिर्भरता उनका गुण था। छल ,छद्म और विद्वेष से पूरी तरह मुक्त उनका व्यक्तित्व उन्हें सर्वप्रिय बना देता था। उनके विरोधी भी उनका सम्मान करने में संकोच नहीं करते थे।
पं.बाजपेयी पंचतत्वों में विलीन
ब्रम्हलीन पं.भगवतीधर बाजपेयी की पार्थिव देह को गुरूवार की शाम ५ बजे रानीताल मुक्तिधाम में पंचतत्वों में विलीन किया गया। जहां नम आंखों से शहर के तमाम राजनेताओं,पत्रकारों और समाज के सभी वर्गों के लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।