लखनऊ, उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के नतीजों से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सूबे की भाजपा सरकार के एजेंडे में शामिल तीन जिलों-वाराणसी, अयोध्या और मथुरा में समाजवादी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की है। योगी सरकार के चार सालों के कार्यकाल में इन तीनों जिलों पर विशेष फोकस रहा है। पंचायत चुनाव के नतीजे भाजपा सरकार के लिए झटका देने वाले साबित हुए हैं।
सबसे पहले वाराणसी पर गौर करें तो विधान परिषद के चुनाव के बाद अब पंचायत के चुनाव में भी भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में जिला पंचायत की 40 में से महज 8 सीटें ही भाजपा के खाते में आई हैं। वहीं सपा के खाते में 14 सीटें और बसपा के खाते में 5 सीटें गई हैं। यहां अपना दल (एस) को 3 सीटें, आम आदमी पार्टी और सुभासपा को 1-1 सीटें मिली हैं। वहीं 3 निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली है। इसी तरह कान्हा की नगरी मथुरा में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यहां मायावती की बसपा ने 12 और चौधरी अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल ने 9 सीटों पर परचम लहराया है। भाजपा की झोली में 8 सीटें आईं हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने एक सीट से अपना खाता खोला।
कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका और 3 निर्दलीय प्रत्याशी जीते। इस बेल्ट के किसानों ने भी कृषि आंदोलन के विरोध में प्रदर्शन किया था। वहीं अयोध्या में भी भाजपा का हाल खस्ता रहा है। जिले की 40 जिला पंचायत सीटों में से 24 पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है। भाजपा के खाते में महज 6 सीटें ही आईं हैं। बाकी पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया है। जनपद में करीब एक दर्जन भाजपा नेताओं ने टिकट नहीं मिलने की वजह से बगावत कर दी थी। अयोध्या-मथुरा-काशी तीनों ही जिले भाजपा के सियासी एजेंडे में हमेशा से शामिल रहे हैं। इनके नाम पर ही भाजपा सियासत करती आ रही है। देश और प्रदेश दोनों ही जगहों पर भाजपा की ही सरकार है। अयोध्या में भी राममंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसका पूरा श्रेय भाजपा खुद लेती है। वाराणसी भी लगातार 2 बार से पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। अयोध्या के बाद अब भाजपा ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और वाराणसी के ज्ञानवानी मस्जिद पर भी कदम बढ़ा दिए हैं। 8 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव के सेमीफाइनल में मिली शिकस्त योगी सरकार के लिए बड़ा झटका है।