रेमडेसिविर के इस्तेमाल का प्रोटोकॉल बनाते वक्त दिमाग नहीं लगाया गया

नई दिल्ली, देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और बदहाल व्यवस्था को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की कोशिशों पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार लोगों को मरते हुए देखना चाहती है। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि रेमडेसिविर के इस्तेमाल के लिए जारी नई गाइडलाइंस के मुताबिक, इसे सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाएगा, जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। ऐसा लगता है कि प्रोटोकॉल तैयार करते वक्त दिमाग का इस्तेमाल नहीं हुआ है। लग रहा है कि केंद्र ने रेमडेसिविर की कमी का मसला खत्म करने के लिए प्रोटोकॉल में बदलाव कर दिया है। अगर किसी के पास ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं है तो उसे रेमडेसिविर भी नहीं मिलेगा। इससे तो लगता है कि आप लोगों को मरते हुए देखना चाहते हैं। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसके रिश्तेदार की सांसे टूट रहीं हैं। उन्हें तुरंत बेड की जरूरत है। इस पर जज की लाचारी साफ दिखी। उन्होंने कहा, हमारी सहानुभूति आपके साथ है। लेकिन अस्पताल भी क्या कर सकता है, जब उनके पास बेड खाली ही नहीं है। मंगलवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए फाइव स्टार होटल में जजों के लिए 100 बिस्तरों का स्पेशल कोविड फेसिलिटी बनाने के फैसले को वापस लेने के लिए कहा था।

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