नई दिल्ली, देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड और जरूरी दवाओं की किल्लत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस लिया है। इस मामले में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हई। इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने केस से अलग होने की इजाजत मांगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एमिकस क्यूरी अपॉइंट किया था। लेकिन उन्होंने केस से अलग होने की अर्जी देते हुए कहा, मैं नहीं चाहता कि कोई यह समझे कि मैं चीफ जस्टिस को जानता हूं। साल्वे इस मामले से अलग इसलिए हुए, क्योंकि सोशल मीडिया पर कई सवाल उठ रहे थे। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि साल्वे को एमिकस क्यूरी अपॉइंट करने के प्रोसेस को लेकर वर्चुअल मीडिया पर अपशब्द कहना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट 4 मुद्दों पर गौर कर रहा
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 4 मुद्दों पर गौर कर रहा है- ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन का तरीका और लॉकडाउन लगाने का राज्यों का अधिकार। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे, यह ज्यूडिशियल फैसला नहीं होना चाहिए। फिर भी हम लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारों पर गौर करेंगे। उधर दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार को निर्देश दिए हैं कि केंद्र को अपने आदेशों का सख्ती से पालन करवाना चाहिए। भले ही धरती-आसमान एक करना पड़े। अस्पतालों में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की कमी को लेकर 4 राज्यों के हाईकोर्ट पहले ही सरकार को फटकार लगा चुके हैं।