नई दिल्ली, कोरोना संकट के दौरान ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ते मरीजों के देश भारत का ऑक्सीजन निर्यात 734 प्रतिशत बढ़ चुका है। वित्तवर्ष 2020 के दौरान देश से सिर्फ 4,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया गया था, लेकिन उसके बाद से यह बिना किसी स्पष्ट वजह के दोगुना हो चुका है।
जनवरी, 2020 के मुकाबले, जब भारत से 352 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया गया था, जनवरी, 2021 में ऑक्सीजन के निर्यात में 734 प्रतिशत की जब्रदस्त बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर, 2020 में देश ने 2,193 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया था, जो दिसंबर, 2019 में किए गए 538 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के निर्यात की तुलना में 308 फीसदी ज़्यादा है।
जिस वक्त देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन एमरजेंसी के हालात हैं, ऐसे समय में यह आंकड़े सरकार की नीति पर सवाल खड़े करते हैं।
22 अप्रैल से ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार को लताड़ा, और कहा था, “ऐसा आज ही क्यों नहीं किया गया…? क्यों 22 अप्रैल तक इंतज़ार करना चाहिए…? जिन्दगियां दांव पर लगी हैं… क्या आप मरीज़ों से ऑक्सीजन के लिए 22 अप्रैल तक इंतज़ार करने के लिए कहेंगे।।।?”
केंद्र सरकार ने हाल ही में तर्क दिया था कि प्राइवेट अस्पताल अपने मरीज़ों को ‘मानसिक ज़रूरतों’ के चलते अतिरिक्त ऑक्सीजन देते हैं, जिसके कारण दुरुपयोग होता है। केंद्र ने कहा था कि दिल्ली सहित सभी राज्यों को ऑक्सीजन के इस्तेमाल को तार्किक बनाना चाहिए, और उन मरीज़ों को ऑक्सीजन नहीं देनी चाहिए, जिन्हें क्लीनिकली उसकी आवश्यकता नहीं है।
कई राज्यों से आई संकट की गुहार के बाद केंद्रीय गृहसचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की गई, जिसमें स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी।के। पॉल तथा अन्य अधिकारी शामिल थे।