वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों के राज्यपालों के साथ देश भर में कोविड-19 की स्थिति और संचालित टीकाकरण अभियान के बारे में चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में, टीकों के साथ, हमारे मूल्य और कर्तव्य की भावना हमारी सबसे बड़ी ताकत है। पिछले वर्ष अपना कर्तव्य मानकर इस लड़ाई में भाग लेने वाले नागरिकों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि अब भी जनभागीधारी की इसी भावना को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से इसे पाने में राज्यपालों की भूमिका, अपनी सामाजिक क्षमता के उचित उपयोग के माध्यम से, बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल राज्य सरकारों और समाज के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने आगे कहा कि सभी सामुदायिक संगठनों, राजनीतिक दलों, एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं की साझा शक्ति का उपयोग करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि राज्यपाल यह सुनिश्चित करने में सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं कि सामाजिक संस्थाएं सूक्ष्म स्तर पर कोरोना नियंत्रण के लिए राज्य सरकारों के साथ बिना किसी बाधा के सहयोग करें। उन्होंने कहा कि उनका सामाजिक संपर्क अस्पतालों में एंबुलेंस, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की क्षमता को बढ़ाने में सहायता कर सकता है। टीकाकरण और उपचार के बारे में सूचनाएं देने के साथ-साथ, राज्यपाल आयुष संबंधी उपायों के बारे में भी जागरूकता फैला सकते हैं। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि हमारे युवा, हमारे कर्मचारीगण, हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि हमारे युवा कोविड संबंधित सभी प्रोटोकॉल और सावधानियों का पालन करें। उन्होंने कहा कि इस जनभागीदारी की दिशा में विश्वविद्यालय के परिसरों में हमारे छात्रों की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने में भी राज्यपालों की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमें विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसरों की सुविधाओं के बेहतर उपयोग पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बीते साल की तरह इस साल भी एनसीसी और एनएसएस की अहम भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लड़ाई में राज्यपाल जनभागीदारी के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और राज्य सरकारों के साथ उनका तालमेल और राज्य के संस्थानों का मार्गदर्शन राष्ट्र के संकल्प को और मजबूत करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि वायरस के खिलाफ लड़ाई के इस चरण में, देश बीते साल के अनुभव और सुधरी हुई स्वास्थ्य क्षमता से लाभ लेने की स्थिति में है। उन्होंने आरटीपीसीआर जांच की क्षमता बढ़ाने पर भी चर्चा की और उल्लेख किया कि जांच की किट और अन्य सामग्री के संबंध में देश आत्मनिर्भर हो गया है। इन सबके कारण आरटीपीसीआर टेस्ट के खर्च में कमी आई है। उन्होंने आगे कहा कि जांच संबंधित ज्यादातर सामग्री जीईएम पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री ने ट्रैकिंग, ट्रेसिंग और टेस्टिंग बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया, और कहा कि आरटीपीसीआर टेस्ट को 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना प्रासंगिक है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *