भोपाल, प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बेकाबू हो गई है। ऑक्सीजन से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन तक के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। सरकार का पूरा फोकस अस्पतालों में इलाज की व्यवस्थाओं पर है। राज्य सरकार ने बुधवार को भिलाई स्टील प्लांट से 60 टन ऑक्सीजन रोज सप्लाई करने का करार कर लिया है। पहली खेप मप्र को अगले एक दो दिन में मिलने की उम्मीद है। इधर, भोपाल कलेक्टर ने जिले में चल रहे प्लांट 24 घंटे चालू रखने के आदेश जारी कर दिए हैं।
प्रदेश में 6 अप्रैल तक एक्टिव केस की संख्या 26 हजार से ज्यादा हो चुकी थी। जबकि कोरोना की पहली लहर में एक्टिव केस का आंकड़ा 21 हजार से आगे नहीं बढ़ पाया था। वर्तमान में कोरोना मरीजों के लिए प्रतिदिन औसत 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। लेकिन जिस तरह से केस बढ़ते जा रहे हैं, उसको देखते हुए सरकार आक्सीजन का स्टाक बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने बताया कि ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर पूर्व तैयारी कर ली है। बुधवार को छत्तीसगढ़ स्थित भिलाई स्टील प्लांट से 60 टन ऑक्सीजन रोज लेने का अनुबंध हुआ है। इसके अलावा करीब 200 टन ऑक्सीजन अन्य राज्यों से बुलाई जा रही है।
दरअसल, सितंबर 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन देने से इनकार कर दिया था, तब राज्य सरकार को केंद्र से मदद मांगनी पड़ी थी। केंद्र ने छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से प्रदेश को ऑक्सीजन दिलाई थी। अब प्रदेश में फिर से संक्रमण बढ़ रहा है। नए मरीजों की संख्या रोज बढ़ रही है। इसे देखते हुए सरकार ने ऑक्सीजन का इंतजाम पहले से कर लिया है।
प्रदेश में रोज 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत
मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कार्पोरेशन के एमडी विजय कुमार के मुताबिक वर्तमान में मध्य प्रदेश में रोज 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत है, जबकि 224 टन उपलब्ध है। इसमें से 140 टन गुजरात और यूपी से आ रही है। प्रदेश में संचालित छोटी-छोटी इकाइयों से भी 84 टन ऑक्सीजन सिलेंडर में मिल रही है, जो स्थानीय स्तर पर सीधे अस्पतालों में जा रही है।
-24 घंटे चलेंगे भोपाल के ऑक्सीजन प्लांट
भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने ऑक्सीजन प्लांट 24 घंटे संचालित करने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि फिलहाल किसी राज्य से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं रोकी गई है। हमारी मांग के अनुसार ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए एक समिति बना दी गई है, जो ऑक्सीजन प्लांट की मॉनीटरिंग करेगी। यह समिति हर 24 घंटे में एक बार रिपोर्ट उपलब्ध कराएगी। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्पतालों में पहले ऑक्सीजन सप्लाई होगी। इसके बाद ही इंडस्ट्री को सप्लाई की जाएगी।
बताया जा रहा है कि प्रदेश के कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती एक मरीज को 24 घंटे में औसतन तीन से चार सिलेंडर लगते हैं। इस अनुमान के अनुसार 300 भर्ती मरीजों को कोविड-19 अस्पतालों में रोजाना 1000 सिलेंडर लगेंगे।