जानिए वैक्सीन लेने के बाद भी कुछ लोगों में क्यों पाया जा रहा है कोरोना का वायरस ?

नई दिल्ली,वैक्सीन लगने के बाद भी कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ऐसा ही कुछ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ हुआ उन्होंने 18 मार्च को चीनी कंपनी सिनोफार्म द्वारा बनाई गई कोरोनो वायरस वैक्सीन की अपनी पहली खुराक ली थी। 20 तारीख को हुई जांच में इमरान कोरोना पॉजिटिव निकले। चीनी वैक्सीन को लेकर आशंका जताने वालों की पुष्टि हो गई। साथ ही चीन के आलोचकों को खुशी मनाने का एक और मौका मिल गया। हालांकि, इस मामले में दोनों गलत थे। वैक्सीन एक ट्रेनर की तरह होती है। रोगाणु से लड़ने के लिए आपके इम्यून सिस्टम को ट्रेंड करने के लिए कई हफ्तों की जरूरत होती है।
इमरान खान की पहली खुराक को काम करने में मुश्किल से दो दिन मिले। वास्तव में, खान को संभवतः अपनी डोज लेने से कई दिन पहले से उनके शरीर में वायरस था। तो, इमरान खान का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने का मतलब यह नहीं है कि उनकी वैक्सीन फेल रही है। लेकिन क्या ऐसे अन्य मामले हैं जहां एक कोरोनो वायरस वैक्सीन ने अपना काम करने में ‘असफल’ हो गया है? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपको कोरोना वैक्सीन के बाद कोरोना होना संभव है। इसका जवाब है- हां, ठीक से वैक्सीनेशन के बाद भी लोगों के एक छोटे हिस्से के कोरोना वायरस से बीमार होने की आशंका है। अब जब दुनिया भर में कई लाखों लोगों को वैक्सीन लगाई गई है तो ऐसे मामले आने नॉर्मल हैं। ऐसा क्यों होता है, और क्या इसे वैक्सीन के फेल होने के रूप में दर्शाना ठीक है। कोरोना वैक्सीनेशन के बाद जो कोरोना इन्फेक्शन का मामला सामने आता है उसे ‘ब्रेकथ्रू केस’ कहते हैं। लेकिन इसके लिए भी एक शर्त है- इसमें इन्फेक्शन दोनों वैक्सीनेशन लेने के कम से कम 14 दिन के बाद होना चाहिए।
जॉन्स हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के अमेश ए अदलजा ने बताया कि वैक्सीन के लिए एक समय सीमा जरूरी है क्योंकि आपके शरीर को सार्स-कोवि-2 (कोरोना वायरस) से रोकथाम के लिए एंटीबॉडी डेवलप करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। फोर्ब्स में लिखे कॉलम में साइंटिस्ट विलियम ए. हैसेल्टाइन ने इजरायल के रिसर्च का उल्लेख किया है। उनका कहना है कि नॉर्मल और वैक्सीन की पहली डोज ले चुके लोगों के पहले 12 दिनों में संक्रमित होने की समान संभावना थी। यहां तक की 17 दिन बाद भी वैक्सीन लेने वाले 60 से 80 परसेंट लोगों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है। वास्तव में, ब्लूमबर्ग के फार्मा इंडस्ट्री एनालिस्ट सैम फाजली ने कहा कि एक वैक्सीन थी जो वायरस के खिलाफ 100 फीसदी इम्युनिटी मुहैया कराती थी। यह इतना अच्छा था कि इसने चेचक के वायरस को पूरी तरह से मिटा दिया। लेकिन ऐसी स्टरलाइज़िंग इम्युनिटी जो न केवल बीमारी बल्कि संक्रमण को भी पूरी तरह से रोक दे, मिलना दुर्लभ है। कोरोना वायरस के लिए को लेकर साइंटिस्टों को 50 फीसदी प्रभावी होने की उम्मीद थी। सौभाग्य से, सभी स्वीकृत वैक्सीन की प्रभाविकता दर 95फीसदी निकली। फिर भी, सबसे अच्छी वैक्सीन आपको गारंटी नहीं दे सकता है कि आप बीमार नहीं पड़ेंगे।

 

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