कोलकाता,बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। पार्टी ने इसे सोनार बांग्ला संकल्प पत्र कहा है। सरकारी नौकरी में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, मछुआरों को हर साल 6 हजार रुपए, केजी से पीजी तक लड़कियों की पढ़ाई फ्री करने और उत्तर बंगाल, जंगलमहल और सुंदरबन में 3 नए एम्स खोलने की बात कही गई है। हर परिवार में कम से कम एक सदस्य को रोजगार का वादा भी किया गया है। घोषणा पत्र में नोबल प्राइज की तर्ज पर टैगोर प्राइज देने का ऐलान भी किया गया है।
कोलकाता के ईस्टर्न जोनल कल्चरल सेंटर में घोषणा पत्र जारी करते हुए शाह ने कहा, देश भर में बेरोकटोक हर धर्म का त्योहार मनाया जाए। सरस्वती और दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। 70 साल से जो शरणार्थी यहां बसे हैं, पहली ही कैबिनेट मीटिंग में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट लागू करके उन्हें नागरिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री शरणार्थी योजना के तहत हर शरणार्थी परिवार को 5 साल तक डीबीटी से 10,000 रुपये सालाना दिए जाएंगे।
मैं बनिया हूं, पाई-पाई का हिसाब रखता हूं
पार्टी का मेनिफेस्टो जारी करने से पहले अमित शाह ने कहा कि कोई यह नहीं पूछना कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा। आने-पाई का हिसाब करके इसे बनाया गया है। मैं बनिया हूं, मुझ पर भरोसा रखना।
भाजपा को एक मौका देने की अपील की
शाह ने कहा, आपने अब तक कांग्रेस, लेफ्ट और टीएमसी को वक्त दिया है। ये सभी पार्टियों ने बंगाल को आजादी वाली स्थिति से नीचे लाने का काम किया है। एक बार मोदीजी के नेतृत्व वाली सरकार को मौका दीजिए। हम फिर से बंगाल की संस्कृति को गौरवांवित करने का वादा करते हैं। बड़ा स्वप्न लेकर आपके सामने आए हैं आप हमें आशीर्वाद दीजिए। गुंडों का डर मत रखिए, वे कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।
सोनार बांग्ला सिर्फ घोषणा नहीं, संकल्प है
भाजपा ने हमेशा घोषणा पत्र को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। कई सालों से संकल्प पत्र महज एक प्रक्रिया बनकर रह गया था। भाजपा की सरकारें बनने के बाद संकल्प पत्र पर सरकारें चलने लगी हैं। हमने पूरी प्रक्रिया को गंभीरता प्रदान की है। इसलिए घोषणा पत्र की जगह संकल्प पत्र कहना शुरू किया। हम कैसे सोनार बांग्ला बनाएंगे, यह सिर्फ घोषणा नहीं है, संकल्प है।
बंगाल ने देश का नेतृत्व किया
आज के प्रगतिशील भारत की नींव कल के बंगाल में रखी गई। यहीं वंदे मातरम मिला, यहीं जन गण मन मिला। यहीं से सशस्त्र क्रांति की शुरुआत हुई। स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्तियों ने चेतना का रास्ता प्रशस्त किया। जब देश कुरीति में जकड़ा था, तब बंगाल के सपूतों ने समाज सुधार की शुरुआत की। आजादी की लड़ाई का नेतृत्व भी बंगाल ने किया।