मप्र में बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं, चना और मसूर की फसलें तबाह

भोपाल, मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कई जिलों में फसलें तबाह हो गई हैं। मुख्य रूप से गेहूं, चना और मसूर को ज्यादा नुकसान हुआ है। सरकार ने नुकसान के आकलन के लिए सर्वे करने के निर्देश दे दिए हैं। इसकी रिपोर्ट सोमवार तक आने की संभावना है। अधिकांश जिलों में फसलें कटकर खलिहानों में रखी थीं। बारिश के चलते गेहूं का कलर पूरी तरह चला गया है। ओलावृष्टि के कारण कहीं पूरी फसल नष्ट हो गई, तो कहीं 50त्न फसल आड़ी हो गई।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि ओलावृष्टि और बारिश से हुए नुकसान का वीडियो ग्राफी से आकलन करने और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने का निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं। किसानों आरबी64 के तहत राहत देंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को भोपाल में हुनर हाट का उद्धाटन कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने सर्वे का काम शुरू करा दिया है। उन्होंने कहा- किसान फिक्र ना करें। जिनकी फसल बर्बाद हुई है, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा।
इन जिलों में ज्यादा नुकसान
राजस्व विभाग के अनुसाार, शुक्रवार को राज्य के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि होने के कारण भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, सागर, रीवा, शिवपुरी, श्योपुर, खरगोन और दमोह में फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ है। सर्वे काम में विलंब होने की बात भी अफसर कह रहे हैं। एक अफसर ने बताया कि मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में प्रदेश के कई जिलों में बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है। इसके अलावा ओले भी गिर सकते हैं। ऐसे में किसानों को काफी नुकसान हो सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर ओलावृष्टि और बारिश से हुए नुकसान का आकलन जल्दी कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि सर्वे का काम तत्काल शुरू होना चाहिए। किसानों के सामने महंगाई के इस दौरान में दोहरा संकट आ गया है, इसलिए उन्हें सरकार राहत पहुंचाएं। कमलनाथ के पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि विगत दिनों रीवा, विदिशा, सीहोर, रायसेन और मंडला में हुई वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों का नुकसान हुआ था, लेकिन आज तक न तो सर्वे हुआ है और न ही किसानों को राहत दी गई।

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