नई दिल्ली, जानवरों में गधे को लेकर भारत में कई स्टीरियोटाइप्स या भ्रांतियां प्रचलित हैं। यहां गधे को उदासीन, सुस्त और मूर्ख जानवर की श्रेणी में रखा गया है। उसी के आधार पर अगर किसी को बेवकूफ या स्टुपिड कहना हो तो गधा कह दिया जाता है। हालांकि विज्ञान ऐसा नहीं मानता है। वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का कहना है कि गधा एक बुद्धिमान जानवर है। हाल ही में जानवरों और मुख्य रूप से गधा, घोड़ा और खच्चर पर काम करने वाले एनजीओ ब्रुक की ओर से गधों को लेकर जानकारी साझा की है। ब्रुक इंडिया में एनिमल हेल्थ एंड वेलफेयर के हैड डॉ निधीश भारद्वाज ने गधों की बुद्धिमानी और उनके सरल स्वभाव को आम लोगों के द्वारा समझने में असमर्थ रहने को लेकर भी बातें कही हैं।
जहां तक गधों के व्यवहार की बात है तो यह कठिन शारीरिक मेहनत करने वाला जीव है। एक मजदूर की तरह मेहनत करता है। हालांकि यह जंगल के जानवरों द्वारा शिकार होने वाला जीव है। फिर भी खतरे को देखकर भागने या लड़ने की क्षमता भी इसमें है। घोड़े को अड़ियल भी कहा जाता है। गधे को लेकर कहा जाता है कि यह बहुत जिद्दी या अड़ियल जानवर है। इसे चलाने के लिए डंडे मारते रहो लेकिन ये टस से मस नहीं होता। यह उदासीन रहने वाला जानवर है। ये चाहे दर्द में हो या भय में हो, उसके बावजूद इसकी बॉडी लेंग्वेज में फर्क नहीं आता। एक जगह पर जमकर खड़ा हो जाता है। इतना ही नहीं गधे को कहा जाता है कि यह बहुत ही स्टुपिड या बेवकूफ, सुस्त और धीमा होता है। इसे आलसी जानवर कहा जाता है। इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि यह जानवर काम में अपना दिमाग नहीं लगाता। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि स्टीरियोटाइप्स से अलग गधे की कई अच्छाइयां और विशेषताएं हैं जो बनी हुई इन भ्रांतियों को तोड़ती हैं। गधे के बारे में जो सामने आया है वह यह है कि डॉल्फिन और कुत्ते की तरह ही गधे के पास भी समस्या को सुलझाने की क्षमता होती है। इनसे भी बेहतर तरीके से गधा सीख सकता है। इतना ही नहीं गधों के पास जबरदस्त मेमोरी क्षमता होती है। गधे उस इलाके या साथ में रहे उन गधों को भी पहचान लेते हैं जिनके साथ वे 25 साल पहले रहे हों। वहीं एक बार गुजरने के बाद इन्हें रास्ते भी याद हो जाते हैं और इसके लिए फिर इन्हें हैंडलर की जरूरत नहीं होती। विशेषज्ञ मानते हैं कि गधा एक सामाजिक प्राणी है। यह स्मार्ट भी है। यह एक दूसरे को प्रेम जताना भी जानता है। इतना ही नहीं ये भेड़, बकरी और अन्य पशुओं के लिए गार्ड की तरह भी काम करते हैं जो इन्हें अन्य झुंडों से दूर रखते हैं। ये घोड़ों से ज्यादा सोचने-समझने की शक्ति रखते हैं। जल्दी ही पैनिक नहीं होते। यह तुरंत रिएक्ट नहीं करता बल्कि उस हालात को भांपता है और फिर कदम उठाता है। डॉ भारद्वाज कहते हैं कि विदेशों में हुए रिसर्च के दौरान गधों को जब अन्य जानवरों के साथ रखा गया और उनसे पजल हल करवाई गई तो गधा उसे हल करने वाला पहला जानवर बना। कई बार ऐसे शोधों में गधों ने अपनी बुद्धिमानी का परिचय दिया है।
डॉल्फिन और कुत्ते की तरह ही गधे के पास भी होती है समस्या को सुलझाने की क्षमता
