दुनिया में भारत के पक्ष को प्रभावी ढंग से रखने के लिए बौद्धिक गुलामी’ की नहीं ‘बौद्धिक क्षत्रिय’ की जरूरत

नई दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सत्य और ज्ञान आधारित विश्व बनाने के भारत के प्रयासों में ‘बौद्धिक गुलामी’ को मुख्य अवरोध बताते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में दुनिया में अपना पक्ष प्रभावशाली ढंग से रखने के लिए देश को ‘बौद्धिक क्षत्रिय’ की जरूरत है।
सरसंघचालक ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा हिन्दुत्व सत्य के सतत अनुसंधान का नाम है, ये काम करते-करते आज हिन्दू समाज थक गया है, सो गया है, परन्तु जब जागेगा, तब पहले से अधिक ऊर्जा लेकर जागेगा और सारी दुनिया को प्रकाशित कर देगा।
‘ऐतिहासिक कालगणना: एक भारतीय विवेचन’ पुस्तक का विमोचन करते हुए भागवत ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व पर प्रभुत्व स्थापित करने को इच्छुक शक्तियां कमजोर देशों को अपने तरीके से प्रभावित करना चाहती हैं, कई देशों में लोगों को अपने तरीके से जीने की छूट नहीं है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को भारत ही एकमात्र ऐसा देश दिखता है, जहां उन्हें आश्वस्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि सत्य और ज्ञान आधारित विश्व बनाने के लिए संघर्ष अभी जारी है और इसमें मुख्य अवरोध ‘बौद्धिक गुलामी’ है।
संघ प्रमुख ने कहा ऐसे में हमें बौद्धिक क्षत्रिय चाहिए। इसका मतलब संघ के बौद्धिक क्षत्रिय नहीं, बल्कि भारत के बौद्धिक क्षत्रिय चाहिए। भारत का पक्ष प्रभावशाली ढंग से लेकर दुनिया में चलने वाले बौद्धिक क्षत्रिय चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में भारत सत्य और ज्ञान की पूंजी को लेकर दुनिया में जाएगा।

 

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