ग्वालियर, तिघरा के जंगल में पत्थर माफिया ने वन विभाग की टीम पर हमला किया है। पत्थर से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली रोकने पर बदमाशों ने टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद वह गाड़ी लेकर भाग गए। वन विभाग की टीम ने पीछा भी किया, लेकिन रास्ते में ही माफिया ने उनको वापस घेरकर पथराव व फायरिंग कर दी। किसी तरह जान बचाकर टीम वहां से भागी है। घटना मंगलवार शाम तिघरा के जंगल में लखनपुरा के पास की है।
तिघरा वन चौकी प्रभारी सुनील जेवियर ने पुलिस को बताया कि मंगलवार शाम उनको सूचना मिली थी कि जंगल में लखनपुरा के पास पत्थर का अवैध उत्खनन हो रहा है। उत्खनन को रोकने के लिए सुनीत अपने स्टाफ वन रक्षक जयप्रकाश तिवारी, वन रक्षक अजय शर्मा, बजेश कुमार, वीरेन्द्र त्रिपाठी, अरविन्द भदौरिया, स्थायी कर्मी रामगोपाल गुर्जर, पोशाकी तिवारी के साथ लखनपुरा पहुंचे। यहां पर एक ट्रैक्टर आता दिखा, जिसमें फर्सी भरी हुई थी। ट्रैक्टर को देखते ही वन कर्मियों ने घेराबंदी कर दी। वन अमले को देखते ही फर्सी से भरे ट्रैक्टर पर चालक के साथ बैठे दो युवकों ने कट्टे निकाल लिए। अभी वनकर्मी कुछ समझ पाते उससे पहले ही बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। वन कर्मियों ने किसी तरह छिपकर जान बचाई। इतने में ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर बदमाश भाग गए, पर वन विभाग की टीम ने हिम्मत कर उनका पीछा करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि माफिया का दूसरा दल उनको घेरने की तैयारी कर चुका था। जैसे ही पीछा करते हुए वनकर्मी आगे पहुंचे उनको चारों तरफ से बदमाशों ने घेर लिया। इसके बाद बदमाश करीब 20 मिनट तक पथराव और गोलियां चलाते रहे। माफिया के तेवर देखकर वन विभाग के अमले के हाथ पांव फूल गए। टीम ने वापस लौटना ही सही समझा। इसके बाद टीम तिघरा थाना पहुंची और मामले की सूचना दी। जब पुलिस जंगल में पहुंची तो वहां कोई नहीं था।
अंचल में पुलिस, वन कर्मियों पर हावी हैं माफिया
ग्वालियर-चंबल अंचल में भू-माफिया, रेत माफिया, पत्थर माफिया व अवैध उत्खनन करने वाले माफिया पुलिस और वन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन पर भी भारी पड़ रहे हैं। आए दिन पुलिस पर हमले हो रहे हैं। हाल ही में पुरानी छावनी में रेत माफिया ने पुरानी छावनी टीआई सुधीर सिंह पर ट्रैक्टर चढ़ाकर कुचलने का प्रयास किया था। उससे एक दिन पहले दतिया में जवान को गोली मारी थी। घाटीगांव के जंगल में वन कर्मियों को घेर कर हमला किया था।
माफिया को रोकने नहीं कोई प्लान
लगातार हमले के बाद भी प्रशासन, पुलिस और वन विभाग ने हमलों को रोकने और माफिया पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कोई योजना नहीं बनाई है। योजना तो दूर अभी तक संयुक्त बैठक तक नहीं की है। इससे लगता है कि माफिया को बड़े स्तर पर संरक्षण मिल रहा है।