भोपाल,प्रदेश में प्रधान आरक्षक से लेकर उप पुलिस अधीक्षक स्तर के हजारों की संख्या में खाली पद अब भरे जाएंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘मध्य प्रदेश पुलिस रेग्युलेशन एक्ट” में संशोधन कर उच्चतर पद पर कार्यवहन का प्रावधान कर दिया है। इस संशोधन के उपरांत अब प्रदेश में 11 हजार 630 पदों को भरने का रास्ता साफ हो गया है।
अब कनिष्ठ अधिकारियों को पुलिस उप महानिरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक और उप निरीक्षक पद का लाभ दिया जा सकेगा। हालांकि इस प्रक्रिया में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा। अनुभव और पात्रता के आधार पर उन्हें वरिष्ठ पद मिलेगा। पात्र कर्मचारी उच्च पद के अनुरूप स्टार और वर्दी लगा सकेंगे। अपर मुख्यसचिव गृह डा राजेश राजौरा ने बुधवार को इसके आदेश जारी कर दिए। प्रदेश में अप्रैल 2016 से पदोन्नति पर रोक है और मार्च-2020 से बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पुलिस महकमे में आपराधिक मामलों की जांच की गति धीमी होने लगी थी। जिसे देखते हुए राज्य शासन ने एक्ट में संशोधन किया है। अब कनिष्ठ अधिकारी खाली वरिष्ठ पदों का कामकाज कुछ शर्तों के साथ संभाल सकेंगे। 2018 में सेवानिवृत्ति की आयु दो वर्ष बढ़ाने के कारण दस महीने से सेवानिवृत्ति होने वाले कर्मचारियों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हो गई है। आरक्षक से प्रधान आरक्षक पद के लिए पांच साल का सेवाकाल अनिवार्य है। प्रधान आरक्षक से सहायक उप निरीक्षक के लिए तीन साल, उप निरीक्षक से निरीक्षक के लिए छह साल और निरीक्षक के उप पुलिस अधीक्षक पद के लिए आठ साल की सेवा होना जरूरी है। उच्चतर पद पर कार्यवहन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को वर्दी पर उच्चतर पद का रैंक लगाने की अनुमति दी जाएगी, पर वे वरिष्ठता और उच्चतर पद के वेतन की पात्रता नहीं रखेंगे। इस बारे में एसीएस (गृह) मप्र, डा राजेश राजौरा का कहना है कि उच्च पद का कार्यवाहक प्रभार मिल जाने और उच्च रैंक की वर्दी धारण करने का अधिकर मिल जाने से पदोन्नति संबंधी पुलिस अधिकारियों का संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा। इसके साथ ही विभागीय दक्षता भी बढ़ेगी।