मुंबई, फिल्म निर्माता आरती कादव डिजिटल सामग्री की सेंसरशिप में विश्वास नहीं करती हैं। वर्तमान में वेब श्रृंखला “तांडव” को लेकर चल रही नाराजगी के कारण डिजिटल सामग्री की सेंसरशिप के बारे में बातचीत शुरू हो गई है। ऐसे में आरती का मानना है कि यह विचार कहानीकार से निडर होने की शक्ति को छीन लेगा। उन्होंने कहा कि “मुझे लगता है कि कम से कम सामग्री जो हम ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देखते हैं, सेंसरशिप से मुक्त होनी चाहिए। कम से कम यह एक ऐसा स्थान होना चाहिए, जहां कहानीकार अपनी मूल आवाज को निर्भयता से रख सकें।” ओटीटी प्लेटफॉर्मो के फायदों पर प्रकाश डालते हुए आरती ने समझाया कि “मुझे लगता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म आवाजों की बहुलता के लिए जगह बना रहे हैं। कुछ ऐसा जो पहले नहीं हुआ करता था।” बता दें कि आरती ने साइंस फिक्शन फिल्म “कार्गो” और “55 किमी/सेकंड” का निर्देशन किया है।