पटना, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डर है कि उनको कार्यकाल के बीच में ही सीएम की कुर्सी से हटाया जा सकता है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम नीतीश ने अप्रत्यक्ष तौर पर कुछ इसी तरह का इशारा किया। सीएम नीतीश ने कहा कि जननायक के साथ अन्याय क्यों हुआ? कर्पूरी ठाकुर जी ने अतिपिछड़ों को आरक्षण दिया। नाराज लोगों ने 2 साल कुछ महीने में ही उन्हें हटा दिया। हमलोग भी सबके हित में काम कर रहे हैं। कभी-कभी सबके हित में काम करने से कुछ लोग नाराज हो जाते हैं। किसी की भी हमने उपेक्षा नहीं की है। बिहार निरंतर आगे बढ़ रहा है। बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में शिखर तक पहुंचे और दो बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 22 दिसंबर, 1970 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 2 जून, 1971 को पद से इस्तीफा दे दिया था। दूसरी बार वे 24 जून, 1977 को राज्य का मुख्यमंत्री बने और मजबूरन 21 अप्रैल, 1979 को पद से इस्तीफा देना पड़ा। नीतीश कुमार जननायक के दूसरे कार्यकाल की तरफ इशारा करते हुए यह बात कह रहे थे। इसके आगे नीतीश कुमार ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों को जमीन पर उतारने के लिए हम प्रयत्नशील हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, लोकनायक जय प्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों से हमलोग प्रेरित होकर काम कर रहे हैं। हमलोगों ने न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर काम करते हुए हर इलाके और हर तबके का विकास किया है। हाशिए पर रह रहे लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष पहल की गई। सीएम ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जिससे समाज के हर तबके की महिलाएं जनप्रतिनिधि के तौर पर जनसेवाओं से जुड़ीं। अतिपिछड़ों को अनुसूचित जाति, जनजाति की तरह ही उद्योग लगाने, शिक्षा प्राप्त करने एवं अन्य कई क्षेत्रों में सुविधाएं दी जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग सिर्फ सत्ता का सुख लेना चाहते हैं। हमारे लिए सत्ता का बस एक मतलब है और वो है सेवा। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। मैं वचन देता हूं, जब तक हम हैं, लोगों की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी नीतियां बनाईं उसका लाभ सबको मिला है। सरकार में आने के पहले ही दिन से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक समाज, अतिपिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं।