काठमांडू, नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अपनी ही पार्टी में फजीहत हो गई। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के विरोधी गुट ने रविवार शाम पार्टी में ओली की सदस्यता खत्म कर दी। हालांकि, यह तीन दिन पहले ही तय हो गया था कि ओली के समर्थन में अब गिने-चुने नेता बचे हैं और उन्हें किसी भी वक्त पार्टी से निकाला जा सकता है। नेपाल में इस वक्त संसद भंग है और वहां कार्यवाहक सरकार है। विरोधी गुट के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने रविवार शाम न्यूज एजेंसी से कहा- नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता खत्म कर दी गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक- ओली की सदस्यता खत्म करने का फैसला पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और माधव कुमार नेपाल की कमेटी ने किया। रविवार को पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में इस पर मुहर भी लगा दी गई। पार्टी में ओली के हालिया फैसलों को लेकर काफी नाराजगी थी। उनसे सफाई मांगी गई, लेकिन वे कमेटी के सामने पेश ही नहीं हुए। नेपाल में इसी साल मार्च से अप्रैल के बीच नए चुनाव हो सकते हैं।
ओली के घर लेटर भेजा गया
पार्टी ने ओली की सदस्यता खत्म करने का फैसला लेने के बाद एक लेटर बालूवाटर (प्रधानमंत्री निवास) भेजा। इसमें लिखा गया है कि स्टैंडिंग कमेटी ने उनकी सदस्यता खत्म करने का फैसला किया है। कुछ दिन पहले इसी कमेटी ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाया था।
देश में भी विरोध
चीन के प्रति नर्म और भारत के प्रति सख्त रुख रखने वाले ओली मार्च से ही विरोध का सामना कर रहे हैं। देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ओली की दिक्कत यह है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं। जब इन पर संसद में उनसे जवाब मांगा गया तो उन्होंने संविधान को ताक पर रखकर संसद ही भंग कर दी। अब देश का सुप्रीम कोर्ट संसद भंग करने के खिलाफ दायर की गई 13 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस बीच, लगभग हर दिन राजधानी काठमांडू और देश के दूसरे हिस्सों में ओली के खिलाफ रैलियां निकाली जा रही हैं।