भोपाल, मप्र में बिजली एक बार फिर महंगी करने की तैयारी है। उपचुनाव के नतीजों के बाद बिजली के दाम में दूसरी दफा करंट आया है। 26 दिसंबर को मप्र विद्युत नियामक आयोग ने 1.98 फीसदी बिजली के दाम बढ़ाने की मंजूरी थी। कंपनी का दावा है कि उसे घाटे की भरपाई के लिए 2600 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय की आवश्यक्ता है। ऐसे में औसत इजाफा 6 फीसद करना होगा। इसमें घरेलू उपभोक्ता के बिलों में कंपनी आठ फीसद दाम बढ़ाना चाहती है।
मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने साल 2021-22 के लिए बिजली टैरिफ तैयार किया है जिसे गत दिवस मप्र विद्युत नियामक आयोग के पास भेजा गया है। कंपनी ने 44 हजार 814 करोड़ रुपए का खर्च तीनों वितरण कंपनियों का बताया है। बीते साल 2020-21 के लिए कंपनी ने करीब 2 हजार करोड़ रुपए का अंतर बताते हुए सवा पांच फीसदी औसत बढ़ोतरी की मांग की थी। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से आयोग ने उस मांग को दिसंबर माह में मंजूरी दी। जिसमें 1.98 फीसदी दाम में इजाफा किया गया था। इसमें करीब एक करोड़ घरेलू उपभोक्ता पर 10 से 15 पैसे प्रति यूनिट पर अतिरिक्त बोझ हर माह आया था। बिजली कंपनी ने तीनों वितरण कंपनी का अनुमानित खर्च में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 14162 करोड़ रुपये,पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 13479 करोड़ तथा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 17173 करोड़ रुपये है।
अब होगी सुनवाई फिर फैसला
मप्र विद्युत नियामक आयोग बिजली कंपनी की याचिका पर सुनवाई आमंत्रित करेंगी। जिसमें प्रदेशभर से उपभोक्ता याचिका पर अपनी अपत्ति दर्ज करवा सकते हैं। वितरण कंपनी के मुख्यालय इंदौर,भोपाल और जबलपुर में आयोग अलग-अलग तारीखों में सुनवाई तय करता है। जिसके आने वाली अपत्तियों के आधार पर आयोग से अंतिम आदेश पारित होता है। उस आदेश के आधार पर ही बिजली कंपनी आगामी तिथि से बिजली के नए दाम लागू करती है।
मप्र में घरेलू बिजली को आठ फीसदी तक किया जा सकता है महंगा
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