भोपाल, प्रदेश में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच कर रही राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू)पर ईडी की कार्रवाई के बाद अब दबाव बढ़ गया है। ई-टेंडरिंग घोटाले से जुड़ी फर्र्मों के कर्ताधर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद अब ईओडब्ल्यू में फाइलों का मूवमेंट शुरू हो गया है। हालांकि ईओडब्ल्यू ई-टेंडरिेंग घोटाले की फाइल को पिछले डेढ़ साल से दबा कर रखी थी। जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही थी।
कमलनाथ सरकार ने ई-टेंडरिंग घोटाले की 10 अप्रैल 2019 को ईओडब्ल्यू में एफआईआर कराई थी। इसके बाद जांच एजेंसी ने भाजपा सरकार में मंत्रियों के करीबी लोगों पर शिकंजा कसा। साथ ही कुछ अफसरों से भी पूछताछ की गई थी। लेकिन बाद में एजेंसी ने जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। भाजपा सरकार के आने के बाद ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच को आगे नहीं बढ़ाया। न ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। दो दिन पहले ईडी ने ई-टेंडरिंग घोटाले में आरोपी कंपनियों के संचालकों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद जांच एजेंसी पर दबाव बढ़ गया है।
इन कंपनियों पर दर्ज किया था केस
ई-टेंडरिंग घोटाले में ईओडब्ल्यू ने जिन दस निजी कंपनियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। इनमें भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी रामकुमार नरवानी और ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनी दि ह्यूम पाइप लिमिटेड और मेसर्स जेएमसी लिमिटेड, वड़ोदरा की कंस्ट्रक्शन कंपनी सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड, हैदराबाद की मेसर्स जीवीपीआर लिमिटेड और मेसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड शामिल हैं। वहीं, जल निगम, पीडब्ल्यूडी, प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट, सड़क विकास निगम और जल संसाधन विभाग के टेंडर प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है, लेकिन एफआईआर में उनके नामों का जिक्र नहीं है।