नई दिल्ली, कोरोना महामारी की कठिन परिस्थितियो के बीच केंद्र सरकार ने अगले पांच साल में 60,000 किलोमीटर नए राष्ट्रीय रामजार्ग निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 22 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, छह इकोनोमिक कॉरिडोर, सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 2000 किलोमीटर बार्डर रोड कनेक्टिविटी आदि शामिल है। इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गो का निर्माण कार्य चलता रहा है, जिससे चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के समाप्त होने से पहले सड़क निर्माण के निर्धारित लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से नवंबर तक 6764 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनओं को मंजूरी दी जा चुकी है। जबकि इस समयवधि में 6207 किलोमीटर राजमार्गो का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि आगामी पांच वर्षो में 60 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का लक्ष्य है। इसमें प्रथम चरण में 9000 किलोमीटर इकोनोमिक कॉरिडार बनाए जाएंगे। इन कॉरिडोर में प्रमुख रूप से दिल्ली-लखनऊ, दिल्ली-देहरादून, आगरा-जयपुर, दिल्ली-बिलासपुर, दिल्ली-कानपुर, लखनऊ-सागर, संभलपुर-रांची, सागर-वाराणसी, रायपुर-धनबाद आदि शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि इकोनोमिक कॉरिडोर से देश के उद्योग-धंधो को बेहतर रोड कनेक्टिविटी मिलेगी। इसके अलावा चीन, पाकिस्तान, बंग्लादेश बार्डर तक रोड़ कनेक्टिविटी सुदृढ़ करने के लिए सरकार पांच साल में 2000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाएगी। योजना के तहत दो हजार किलोमीटर राजमार्ग निर्माण कर तटीय व बंदरगाह के बीच रोड कनेक्टिविटी तैयार की जाएगी। इससे आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। अधिकारी ने बताया कि पांच साल में 100 पर्यटक स्थलों को विकसित करने के लिए सड़को जाल बिछाया जाएगा। वहीं, 45 शहरों में बाईपास बनाने की योजना है। इससे भारी वाहनों केउक्त शहरों में प्रवेश नहीं करने से लोगों को जाम से छुटकारा मिलेगा। वहीं व्यवसायिक वाहन शहरों के बाहर से अपने गंतव्य स्थान जल्द पहुंच सकेंगे। उन्होने बताया कि उक्त सभी योजनाओं पर सरकार छह लाख करोड़ रुपये निवेश करेगी। बुनियादी ढांचे में निवेश से आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलने के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।