नई दिल्ली,हॉकी कोच मोहम्मद इमरान पर निर्माता राजेश बेरी एक बायोपिक बनाएंगे। जेश बेरी ने यह घोषणा की। इस बायोपिक में इमरान के हॉकी को लेकर संघर्ष के साथ ही खेल के प्रति उनके जुनून को दिखाया जाएगा। राजेश बेरी ने कहा है कि गोरखपुर जिले में रहकर हॉकी के सैकड़ों खिलाड़ी बनाने वाले इस जुझारू शख्सीयत पर बॉयोपिक बनाना अपने आप में एक उपलब्धि है। वहीं दूसरी ओर इस फिल्म से उत्साहित मोहम्मद इमरान का मानना है कि इस कदम से हॉकी फिर अपने गौरवशाली अतीत की ओर लौटेगी।
बेरी ने कहा कि इमरान ने एक छोटे से शहर से गांव और कस्बों की बेटियों को प्रशिक्षण देकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जो काबिलेतारीफ है। ऐसे अनजान हीरो और उसकी कहानी को देश और दुनिया के सामने लाने के लिए फिल्म से बेहतर कोई जरिया नहीं है। बेरी के अनुसार उन्होंने कहानी पूरी कर स्टार कास्ट पर काम करना शुरू किया था पर देश में अचानक ही कोविड-19 के कारण हालात बदल गये थे। ऐस में अब कहानी भी समय के हिसाब से बदल रही है। कहानी पूरी होते ही स्टार कास्ट पर भी काम शुरू हो जाएगा। मोहम्मद इमरान ने देश को 8 अंतरराष्ट्रीय और 50 राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी दिये हैं जबकि उनके पास जरुरी सुविधाएं तक नहीं थीं।
इमरान को हॉकी खेलने का शौक बचपन से ही थ। पढ़ाई के दौरान इन्होंने झांसी के गड्ढे वाले मैदान पर हॉकी की बारीकियां सीखीं। हाकी की बदौलत ही 70 के दशक में मेजर ध्यानचंद और केडी सिंह के करीब रहे। इमरान को गुरुश्री अवॉर्ड, राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड, ‘द रीयल हीरो ऑफ सोसायटी’ और ‘मेधावीर अर्जुन’ सम्मान मिल चुका है। साल 1973 में वह गोरखपुर आए और खेल कोटे से खाद कारखाने में नौकरी करने लगे। बाद में खाद कारखाना उनकी कर्मभूमि बन गया। उन्होंने हॉकी की ट्रेनिंग देना भी जारी रखा। 31 दिसंबर 2002 में खाद कारखाना अचानक बंद हुआ और उनकी नौकरी चली गई। परिवार चलाने के लिए खिलाड़ियों के लिए लोअर बनाने का कारखाना शुरू किया, लेकिन यह बिजनेस कामयाब नहीं हुआ। पेंशन से गुजारा मुश्किल था। ऐसे में घूम-घूमकर स्पोर्ट्स किट बेचने लगे।