चंडीगढ़, हरियाणा के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को सोनीपत और अंबाला की मेयर की सीट से हाथ धोना पड़ा है। उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी हिसार के उकालना और रेवारी के धरुहेरा में अपने घर के मैदान में चुनाव हार गई है। यह बड़ा झटका गठबंधन को राज्य के चुनावों के अगले साल ही सहना पड़ रहा है।
ज्ञात रहे कि अंबाला, पंचकूला, सोनीपत, रेवारी के धरुहेरा, रोहतक के सांपला और हिसार के उकालना में बीते रविवार को नगर निगम के चुनाव हुए थे। बुधवार को सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू हुई थी।
कांग्रेस की सोनीपत में 14,000 वोटों से जीत हुई है। निखिल मदान सोनीपत के पहले मेयर बनेंगे। कांग्रेस का दावा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ गुस्से के चलते बीजेपी को हारना पड़ा है। अंबाला में हरियाणा जनचेतना पार्टी की शक्ति रानी शर्मा मेयर बनने वाली हैं। उनकी 8,000 वोटों के अंतर से जीत हुई है।
बीजेपी पंचकूला में आगे चल रही थी। हालांकि, उसकी गठबंधन पार्टी जेजेपी रेवारी और हिसार की अपनी सीटों से हाथ धो चुकी है। किसान आंदोलन ने जेजेपी को तब धर्मसंकट में डाल दिया था, जब पार्टी की पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने हाल ही में बीजेपी-नीत एनडीए से नाता तोड़ लिया था। अकाली दल ने कृषि कानूनों के विरोध में गठबंधन छोड़ा था। इसके बाद दुष्यंत चौटाला ने भी कहा था कि वो किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस सुनिश्चित न किए जाने की स्थिति में एनडीए छोड़ देंगे।
पिछले हफ्ते उन्हें अपने ही विधानसभा क्षेत्र- जींद के ऊचां कलां- में गांव वालों का विरोध झेलना पड़ा था, जहां लोगों ने उनके लिए बनाए गए हैलीपैड को खोद दिया था। इसी तरह हरियाणा के कई गांवों ने गठबंधन के नेताओं की एंट्री को बंद कर दिया था।