लद्दाख,भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपने नवजात ‘बेल्जियन मेलिनोइस’ लड़ाकू कुत्तों के नाम गलवान, श्योक और रेजांग जैसे लद्दाख क्षेत्र के विभिन्न अहम भौगोलिक स्थानों के नाम पर रखे हैं। यह अनोखा निर्णय द्विआयामी लक्ष्य को लेकर लिया गया है, पहला सामान्यत: फौजी कुत्तों को दिए जाने वाले सीजर या एलिजाबेथ जैसे नामों से बचना और दूसरा, स्थानीय लोगों और उन सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करना जो राष्ट्रीय कर्तव्य पर दुर्गम ऊंचाइयों पर तैनात हैं।
ये कुत्ते पंचकूला के भानु में आईटीबीपी के ‘नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स’ में सितंबर-अक्टूबर में पैदा हुए थे और उनके नाम एने-ला, गलवान, सासोमा, श्योक, चांग-चेनमो, चिप-चाप, दौलत, रेजांग, रैंगो, चारडिंग, इमिस, युला, सृजप, सुल्तान चुकसू, मुखपरी, चुंग-थुंग और खारदूंगी रखे गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये लद्दाख क्षेत्र की जगहें हैं जहां भारत तिब्बत सीमा पुलिस चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा की चौकसी के अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी के तहत तैनात है।
अधिकारी ने कहा कि इन छोटे सैनिकों को शतप्रतिशत देशी नाम देने और वह भी कि बल द्वारा चौकसी किए जाने वाले क्षेत्रों के नाम पर उनके नाम रखने से बल की लड़ाकू कुत्ता शाखा का लक्ष्य अपने धरोहर एवं मूल्यों को सम्मान प्रदान करना है। कुत्तों की यह प्रजाति तब अंतराष्ट्रीय सुर्खियों में आई थी, जब उसने 2011 में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए अभियान में अमेरिकी नौसेना के सील सैनिकों की मदद की। बाद में यह प्रजाति ‘ओसामा हंटर्स’ नाम से प्रसिद्ध हो गई।