केंद्र ने किसानों की दो मांगे मानीं शेष दो पर 4 जनवरी को अगली बैठक में होगी चर्चा

नई दिल्ली,कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की बुधवार को सरकार के साथ छठे दौर की वार्ता काफी हद तक सफल रही है। इस बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी है। यानी 50 प्रतिशत मुद्दों का समाधान हो गया है। अब 4 जनवरी को अगली बैठक में बाकी का समाधान निकाला जाएगा।
हाल ही में हुए कृषि कानूनों पर एक महीने से अधिक समय से जारी गतिरोध को तोडऩे के लिए प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच छठे दौर की बातचीत बुधवार दोपहर को शुरू हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।
4 में से 2 मसलों पर किसान रजामंद
पांच घंटे तक चली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, आज की बैठक पहले की तरह अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने 4 मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें 2 विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और यूनियन के बीच बन गई है। तोमर ने कहा- किसानों की मांग में पहली एन्वायरनमेंट से संबंधित ऑर्डिनेंस में किसान और पराली से संबंधित हैं। उन्हें चिंता थी कि किसान को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सरकार और किसानों में इस मुद्दे पर रजामंदी हुई है। दूसरा- इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, जो अभी आया नहीं है। उन्हें लगता है कि किसानों को इससे नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, वैसी ही चलनी चाहिए। इस मांग पर भी दोनों के बीच रजामंदी बन गई है।
एमएसपी को कानूनी दर्जे पर फिलहाल सहमति नहीं
तोमर ने कहा- तीन कानूनों को वापस लेने की बात यूनियन करती रही। हमने अपने तर्कों से उन्हें यह बताने की कोशिश की कि किसान की कठिनाई कहां है, जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है। एमएसपी के विषय में भी सरकार पहले से भी कहती रही है कि ये पहले से है और जारी रहेगी। उन्हें ऐसा लगता है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। कानून और एमएसपी पर चर्चा जारी है। हम 4 तारीख को 2 बजे फिर से इक_ा होंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।
– सरकार का किसानों को भरोसा
दिल्ली-एनसीआर के वातावरण को साफ रखने के लिए ऑर्डिनेंस में किसानों को बाहर रखा जाएगा, जिसमें किसानों को पराली जलाने पर 1 करोड़ तक का जुर्माना रखा गया था। किसान नेता ने कहा- सरकार 3 कानून रदद् करे, हम संशोधन नही कानून रद्द करवा कर वापस जाएंगे? सरकार का कहना है कि बाकी जिन क्लॉज पर आपत्ति है उसपर सरकार विचार को तैयार है, लेकिन किसान नेता कह रहे हैं हमें संशोधन पर बात नहीं करनी? तीन कानूनों की वापसी पर सरकार ने अपना पुराना स्टैंड दोहराया कि कानून की वापसी नहीं होगी। बाकी तीन मसलों पर बात हो रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार ने लिखित गारंटी देने का प्रस्ताव दोहराया। चर्चा के दौरान, सरकार किसान नेताओं से कहा कि तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है।
-सरकार ने खाया किसानों का नमक
कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच बुधवार को सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई। ये बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई, जिसमें 40 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। वहीं, वार्ता के बीच लंच ब्रेक में किसानों के लिए आया लंगर मंत्रियों ने भी खाया। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी प्लेट लेकर लाइन में खड़े दिखे। यह इस बात का संकेत है कि आंदोलन का जल्द से जल्द हल निकल सकता है।
-बैठक में 4 प्रमुख मुद्दे
किसान संगठनों ने मीटिंग में 4 प्रमुख मुद्दे उठाए हैं। पहला मुद्दा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का है। दूसरी प्रमुख मांग एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने और तीसरी मांग एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए बने कानून के तहत एक्शन के दायरे से किसानों को बाहर रखने की है। चौथी मांग के तौर पर विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लेने की बात कही गई है।
-बैठक निर्णायक
कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बातचीत को लेकर केंद्र ने कहा है कि ये बैठक निर्णायक है, पर किसान कानून वापसी पर ही अड़े हुए हैं। हल निकलेगा या नहीं, ये साफ होने में वक्त है। मीटिंग के दौरान किसान नेताओं ने मांग रखी कि आंदोलन के दौरान उनके जो साथी मारे गए, उनके परिवारों को इंसाफ और मुआवजा दिया जाए। वहीं, सरकार ने किसानों से कहा कि कानूनों से जुड़ी मांगों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा सकता है।
-किसानों ने रखी अपनी मांगें
मीटिंग से पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि नए कृषि कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश में फसलों की कीमतें 50 प्रतिशत गिर गईं। इनकी खरीद समर्थन मूल्य से नीचे हो रही है। धान का भाव 800 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। किसान मजदूर संघर्ष समिति, पंजाब के जॉइंट सेक्रेटरी सुखविंदर सिंह सबरा ने कहा कि सरकार से पिछली बैठकें बेनतीजा रहीं, आज भी कोई हल निकलने की उम्मीद नहीं है। सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए। किसानों के समर्थन में पंजाब में लोग रिलायंस जियो के टावर्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए कंपनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री और डीजीपी को चि_ी लिखकर दखल देने की मांग की है। राकेश टिकैत ने कहा कि देश में विपक्ष का मजबूत होना जरूरी है, ताकि सरकार को डर बना रहे। लेकिन, ऐसा नहीं होने की वजह से किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा। कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष को सड़कों पर प्रदर्शन करना चाहिए।

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