मप्र में अब तीन एकड़ जमीन पर भी बनाये जा सकेंगे मेडिकल कॉलेज

भोपाल, डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कई नियमों में छूट दी है। नए नियमों के तहत मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और उनसे संबद्ध शिक्षण अस्पतालों के लिए न्यूनतम पांच एकड़ जमीन की बाध्यता खत्म कर दी है। इसके साथ ही कौशल विकास प्रयोगशालाओं (स्किल लैब) को अनिवार्य कर दिया गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से एमबीबीएस की वार्षिक सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव करने वाले मेडिकल कॉलेजों पर लागू अनिवार्यताओं के विस्तृत नियम ‘वार्षिक एमबीबीएस प्रवेश नियमों के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं (2020)Ó जारी किए हैं। कोरोना संक्रमण काल (ट्रांजिटरी पीरियड) में पहले से स्थापित मेडिकल कॉलेजों पर वर्तमान अधिसूचना से पूर्व के संबंधित वर्तमान नियम लागू होंगे। नए नियमों के मुताबिक, सौ सीटों वाले कॉलेज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बेडों की संख्या 530 से घटाकर 430 कर दी गई है, जबकि दो सौ सीटों वाले कॉलेज के लिए बेड की संख्या 930 से घटाकर 830 कर दी गई है।
तर्क संगत बनाया
शिक्षण अस्पताल के विभिन्न विभागों में आवश्यक बिस्तरों को छात्रों के हर साल प्रवेश, क्लीनिकल स्पेशियालिटी में बिताए जाने वाले शिक्षण के समय और अंडर ग्रेजुएट मेडिकल प्रशिक्षण के लिए आवश्यक न्यूनतम चिकित्सकीय सामग्री के मुताबिक तर्क संगत बनाया गया है। नए नियमों के मुताबिक, टायर-1 एवं टायर-2 शहरों, पर्वतीय एवं पूर्वोत्तर राज्यों और अधिसूचित आदिवासी इलाकों में परिसर दो भूखंडों पर भी बनाया जा सकता है।
कौशल विकास प्रयोगशाला के लिए निर्देश
नए नियमों के मुताबिक हर मेडिकल संस्थान में कौशल विकास के लिए प्रयोगशाला होगी, जहां छात्र अपने शिक्षण के दौरान अभ्यास कर सकेंगे और खास विधा में अपने कौशल को विकसित कर सकेंगे। कौशल विकास प्रयोगशाला स्थापित करने का उद्देश्य यह है कि प्रत्येक मेडिकल संस्थान में छात्रों को एक ऐसा माहौल उपलब्ध हो जहां वे किसी चिंता खतरे के बिना प्रैक्टिस कर सकें।
ऐसे बदलेगी सूरत
1 छात्रों के लिए काउंसिलिंग सेवाओं को अनिवार्य बनाया गया जिससे उन्हें दबाव से उबरने में मदद मिलेगी।
2 शिक्षण संकायों को युक्तिसंगत बनाने से बढ़ेगी प्रशिक्षण की गुणवत्ता।
3 सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में दो नए शैक्षणिक विभाग अनिवार्य।
4 पुस्तकालयों के लिए जगह की अनिवार्यता घटाई गई जिससे नए मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर बड़ी अड़चन दूर हुई।
5 भूखंडों पर मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट से बड़े शहरों और पर्वतीय क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोलना होगा आसान।

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