न्यू ईयर सेलिब्रेशन आया नजदीक पर ग्रीटिंग्स कार्ड्स के ट्रेडर्स में छायी मायूसी

नई दिल्ली, नया साल आ रहा है। हर किसी का मन न्यू ईयर को लेकर खासा उत्साहित है, लेकिन ग्रीटिंग्स कार्ड्स का बिजनेस करने वाले व्यापारी काफी उदास हैं। धीरे-धीरे ग्रीटिंग्स कार्ड का कारोबार सिमट रहा है। अब नव वर्ष पर एक-दूसरे को ग्रीटिंग्स कार्ड देना पुरानी बात हो गई है। सोशल मीडिया के दौर में मोबाइल संदेशों से नए साल और दीपावली समेत अन्य अवसरों पर शुभकामनाएं भेजने का चलन बढ़ गया है। अब तो लोग व्हाट्सऐप, फेसबुक मैसेंजर, टेलीग्राम, ट्विटर, इंस्टाग्राम और एसएमएस के जरिए बधाई और मंगलकामनाएं भेज रहे हैं। ग्रीटिंग्स कार्ड कहीं पीछे छूट गया है।
दिल्ली वेडिंग एंड ग्रीटिंग्स कार्ड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बिमल जैन ने बताया कि पिछले 2-3 सालों से तो यह काम कम ही होता जा रहा है। पहले थोक कारोबारी अपने रिटेल व्यापारियों को नए साल और दीपावली पर ग्रीटिंग्स कार्ड भेजते थे। राजनीतिक दलों के नेता भी अपने जानकारों के लिए ग्रीटिंग्स कार्ड की अच्छी खासी बुकिंग करते थे। कॉरपोरेट कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को ग्रीटिंग्स देती थीं। अब सब बंद हो गया है। सिर्फ स्कूली बच्चे, कॉलेज स्टूडेंट्स, नौजवान लड़के-लड़कियां ही एक-दूसरे को ग्रीटिंग्स कार्ड दे रहे हैं, जिनकी संख्या भी कम है। फ्री इंटरनेट होने की वजह से शहरों के साथ कस्बे और देहात में भी काम खत्म हो गया है। इस साल तो कोरोना की वजह से भी कार्ड निर्माताओं का बिजनेस बैठ गया है। शादियों में अतिथियों की पाबंदी के चलते लोगों ने कार्ड नहीं छपवाए। आने वाला भविष्य खतरे में दिख रहा है। बहुत से ट्रेडर्स ने तो कार्ड की लाइन ही छोड़ दी है।
बिमल जैन ने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में फॉरवर्डेड शुभकामनाएं भेजने का चलन बढ़ गया है। कहीं से मैसेज आया, उसे किसी दूसरे को भेज दिया। इसमें फीलिंग्स नहीं हैं, सिर्फ खाना पूर्ति के लिए शुभकामनाएं भेजी जा रही हैं। जबकि ग्रीटिंग्स कार्ड के दौर में लोग अपने हाथों से भी कुछ मैसेज और कोई याद आदि लिखते थे। जिसे ग्रीटिंग्स भेजा जाता था, उसके प्रति कई तरह की फीलिंग्स होती थी। ग्रीटिंग्स प्राप्त करने वाला भी संदेश पढ़कर भेजने वाले की भावनाओं के समझता था। इससे आपसी प्रेम बढ़ने के साथ संबंध मजबूत होते थे। अब ऐसा नहीं है। कारोबारी कहते हैं कि ग्रीटिंग्स कार्ड भेजने का चलन खत्म होने से डाक विभाग की आमदनी पर भी असर पड़ा है। वरना, दीपावली और नए साल के अवसर पर डाकघर पर समय से पहले ग्रीटिंग कार्ड पहुंचाने का खासा दबाव होता था। डाकिए की छुट्टियां तक रद्द हो जाती थी। वहीं अब कोरियर, पेपर बनाने वाले, मजदूर और वेंडर्स का काम भी छिन गया है। पहले दीपावली और नए साल से महीने 15 दिन पहले बाजारों में ग्रीटिंग्स कार्ड्स के स्टॉल सज जाते थे। हर वर्ग के लिए सस्ते से महंगा ग्रीटिंग्स कार्ड दुकानदार रखते थे। अब ये पारंपरिक बिजनेस सिमटने की ओर है।

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