नई दिल्ली,पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतरेंगे। वामपंथी दलों ने पहले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन की हरी झंडी दे दी थी और अब कांग्रेस ने भी साथ चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के मुताबिक कांग्रेस और लेफ्ट के साथ चुनाव लडऩे पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मुहर लगा दी है।
सांसद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के लिए लेफ्ट के साथ गठबंधन कर लिया है। लेफ्ट के साथ गठबंधन के लिए पार्टी से मिली हरी झंडी मिल गई है। ऐसे में एक बार फिर 2016 के विधानसभा चुनाव की तरह कांग्रेस और लेफ्ट मिलकर बंगाल में भाजपा और ममता बनर्जी से दो-दो हाथ करेंगे।
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट ने एक साथ चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस विधानसभा में दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और पार्टी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि सीपीएम को 26 और बाकी लेफ्ट के घटक दलों को कुछ सीटें मिली थी। भाजपा मात्र 3 सीट जीत सकी थी। हालांकि मौजूदा विधायकों के पाला बदलने की वजह से कांग्रेस के अभी 23 विधायक ही हैं जबकि भाजपा के पास 16 विधायक हैं। ऐसे में सवाल है बंगाल में भाजपा के जबरदस्त उभार के बीच क्या कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी रह पाएगी?
दरअसल, इस बार बंगाल का विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। टीएमसी के करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक ममता बनर्जी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इतना ही नहीं लेफ्ट के भी दो विधायकों ने हाल में भाजपा की सदस्यता ली है। ऐसे में देखना होगा कि लेफ्ट और कांग्रेस मिलकर क्या सियासी गुल खिलाते हैं।