भोपाल, मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है। इसके पहले विधानसभा सचिवालय ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों से विधायकों की कोरोना रिपोर्ट मांगी है। इधर, 23 दिसंबर से विधानसभा के अधिकारियों और कर्मचारियों की कोरोना संबंधी जांच शुरू हो जाएगी। जिन विधायकों की जांच जिलों में नहीं हो पाएगी, वे विधानसभा परिसर में जांच करा सकेंगे। अभी सत्र के स्वरूप को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है। इसके लिए कुछ दिन सर्वदलीय बैठक हो सकती है। भाजपा और कांग्रेस विधायक दल के सचेतक ज्यादा से ज्यादा विधायकों की मौजूदगी के साथ सत्र करने की बात प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा के सामने रख चुके हैं। इसके मद्देनजर सदन में दो सदस्यों के बीच पारदर्शी शीट लगाने पर भी विचार चल रहा है। साथ ही, वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी विधायकों के सदन की कार्यवाही में शामिल होने की वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा रही है। सत्र में 28 नए विधायकों को शपथ दिलाने के अलावा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्वाचन, धर्म स्वातंत्र्य विधेयक, अनुपूरक बजट सहित अन्य महत्वपूर्ण विधायी कार्य संपादित किए जाने हैं। कोरोना संकट के कारण इस साल विधानसभा का एक भी सत्र विधिवत नहीं हो पाया है। कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है। इसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस विधायक दल ने सामान्य तरीके से सदन की कार्यवाही संचालित कराने की इच्छा जताई है।
सत्र में होगा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव
प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक शीतकालीन सत्र में नए विधायकों को शपथ दिलाने के साथ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन होना है। यह पहले मौका है जब इतने समय तक विधानसभा में नियमित अध्यक्ष और विभिन्?न समितियां नहीं हैं। मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में उपाध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव होना तय माना जा रहा है। इसमें दलीय स्थिति के हिसाब से भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा। सत्र में सरकार धर्म स्वातंत्र्य, मंडी अधिनियम में संशोधन सहित अन्य विधेयक प्रस्तुत करेगी।