अहमदाबाद, रेलवे बोर्ड ने आय नहीं होने का कारण आगे कर गुजरात में 11 नेरोगैज ट्रेन लाइन को बंद करने का फैसला किया है. अंग्रेजों ने देश में नेरोगैज लाइन बिछाई तब से अब तक सेवा देने वाली इन ट्रेनों को अब बंद कर दिया गया है. खासकर आदिवासी और पिछड़े, दूरदराज के क्षेत्रों में चलने वाली नेरोगैज ट्रेन अब इतिहास बन गई है. इन क्षेत्रों के लोगों को उम्मीद है कि नेरागैज को ब्रोडगैज में परिवर्तित कर उन्हें और सुविधायुक्त ट्रेन सेवा उपलब्ध होगी. रेलवे बोर्ड ने 10 दिसंबर को पश्चिम रेलवे के महा प्रबंधक को पत्र लिखकर 11 नेरोगैज लाइन बंद करने की जानकारी दी. जिसमें इन रूट पर आय नहीं होने का कारण बताया गया है और हमेशा के लिए इन लाइनों को बंद करने का आदेश दिया है. वर्षों पुरानी इन रूटों पर यात्री नहीं मिलने और खर्च के मुकाबले आय नहीं होने की वजह से रेलवे बोर्ड ने इन लाइनों को बंद किया है. जिसमें बिलीमोरा-वधई, नडियाद-भादरण, अंकलेश्वर-राजपीपला, बरियावी-वडताल-स्वामीनाराण, कोसंबा-उमरपाडा, समलाया-टीम्बा रोड, झगडिया-नेत्रंग, छुछापुरा-टंखाला, छोटाउदेपुर-जंबुसर, चोरंडा-मोटीकोरल और चांदोद-मालसर की नेरोगैज ट्रेनें शामिल हैं. गौरतलब है कि 105 साल पहले वडोदरा के महराजा सयाजीराव गायकवाड ने 115 में बिलीमोरा-वधई नेरोगैज ट्रेन की शुरुआत की थी. इस ट्रेन में 6 कोच जोड़कर बिलीमोरी से वधई दिन में दो बार चलाई जाती थी.