भोपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा देश में लागू किए गए तीनों कृषि कानून किसान-हितैषी हैं तथा इनसे न केवल किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, बल्कि उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए ये बहुत बड़ा कदम है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी निरंतर जारी रहेगी, इसे समाप्त करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। कृषि उपज मंडियाँ भी पूर्वानुसार कार्य करती रहेंगी, साथ ही किसानों को मंडी के बाहर फसल बेचने की सुविधा दिए जाने की प्रतिस्पर्धी व्यवस्था से किसानों को लाभ होगा।
आश्वस्त हैं मध्यप्रदेश के किसान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर सबसे ज्यादा है। यहां के किसान समझते हैं कि तीनों नए कृषि कानून उनके लिए लाभदायक हैं, अत: वे पूरी तरह आश्वस्त हैं। कई लोग भ्रम फैला रहे हैं, परन्तु उनके प्रयास सफल नहीं होंगे।
मनमोहन सिंह की सरकार ए.पी.एम.सी. एक्ट लागू करने की पक्षधर थी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मनमोहन सिंह सरकार कृषि उपज व्यापार एक वाणिज्य कानून (एपीएमसी) लागू करने की पक्षधर थी। तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि ‘वर्तमान कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य कानून (ए.पी.एम.सी. एक्ट) को मॉडल ए.पी.एम.सी. एक्ट 2003 की तर्ज पर संशोधित करने की आवश्यकता है। इससे बाजार-अधोसंरचना में निजी क्षेत्र का निवेश प्रोत्साहित होगा तथा किसानों, उपभोक्ताओं और कृषि-व्यापार के समग्र हित में वैकल्पिक प्रतिस्पर्धात्मक बाजार की राहें खुलेंगी।’
– छोटे-बड़े सभी किसानों का ध्यान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार को छोटे-बड़े सभी किसानों के हितों का पूरा ध्यान है तथा नए कानून सभी के लिए हितकारी हैं। मध्यप्रदेश में लगभग 80 लाख किसान हैं, परन्तु उनमें से 12-13 लाख किसान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचते हैं। प्रधानमंत्री किसान कल्याण निधि योजना के अंतर्गत छोटे किसानों को वर्ष में 4 हजार रुपये की सम्मान निधि दी जाती है। मध्यप्रदेश सरकार ने इसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया है। हमें हमारे हर किसान की चिंता है।
– मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक गेहूँ उपार्जित
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गत दिनों मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक गेहूँ 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन 16 लाख किसानों से खरीदा गया। वर्तमान में धान की खरीदी चल रही है। प्रदेश में भावांतर योजना के माध्यम से भी किसानों को लाभ दिया गया। मध्यप्रदेश न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली का बड़ा समर्थक है।
– मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क घटाकर 50 पैसा किया गया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम कृषि उपज मंडियों के संचालन को बेहतर बना रहे हैं, जिससे उनका अधिक से अधिक लाभ किसानों को मिल सके। प्रदेश में मण्डी शुल्क 1 रुपये 50 पैसे से घटाकर 50 पैसे कर दिया गया। इससे किसानों को निश्चित ही फायदा होगा।
अनुबंध कृषि से किसानों की बड़ी सुरक्षा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन व वृद्धि सेवा करार विधेयक किसानों को बाजार की अनिश्चितता के जोखिम से बचाने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। अनुबंध कृषि से किसानों को अपनी फसल का निश्चित मूल्य मिलेगा, साथ ही बाजार मूल्य बढ़ने पर अनुबंध निरस्त भी किया जा सकता है। इस प्रकार किसानों को हानि की कोई आशंका नहीं है। यह आशंका भी पूर्णत: निर्मूल है कि इससे कोई किसान की भूमि पर कब्जा कर सकता है।
– मांग बढ़ने से किसानों को होगा लाभ
तीसरे विधेयक आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक-2020 से कृषि उत्पादों की मांग बढ़ेगी तथा मांग बढ़ने से इसका लाभ किसानों को होगा। इसके साथ ही कृषि उत्पादों की अधिक खरीदी से कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग और कृषि अधोसंरचना आदि का विकास होगा। कृषि उपज खराब नहीं होगी और किसानों को दीर्घगामी लाभ होगा।
किसानों के हित में निरंतर कार्य
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार निरंतर किसानों के हित में कार्य कर रही है। केन्द्र सरकार ने देश के 03 करोड़ किसानों को 4.2 लाख करोड़ रुपये का रियायती ऋण प्रदान किया, प्रधानमंत्री किसान योजना में 14 करोड़ किसानों को 94 हजार करोड़ रुपये दिए गए, 6 करोड़ से अधिक किसानों को 50 हजार करोड़ रुपये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दिलवाए गए तथा लगभग 2.5 करोड़ किसानों को 02 लाख करोड़ रुपये किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत दिए गए।
समर्थन मूल्य खरीदी की तुलनात्मक स्थिति
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यू.पी.ए. सरकार के कार्यकाल 2009 से 2014 तथा एन.डी.ए सरकार के कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीद की तुलनात्मक स्थिति बताते हुए कहा कि इस अवधि में यूपीए सरकार ने 2.06 लाख करोड़ की धान खरीदी, वहीं एन.डी.ए सरकार ने 4.95 लाख करोड़ रूपए की धान खरीदी की, यू.पी.ए. सरकार ने 1.68 लाख करोड़ रूपए का गेहूं खरीदा, वहीं एन.डी.ए. सरकार ने 2.97 करोड़ रूपए का गेहूँ खरीदा, यू.पी.ए. सरकार ने 45 करोड़ रूपए का दलहन खरीदा वहीं एनडीए ने 49 हजार करोड़ रुपये का दलहन खरीदा तथा यू.पी.ए. सरकार ने 2460 करोड़ रुपये का तिलहन एवं कोपरा खरीदा वहीं एन.डी.ए. सरकार ने 25000 करोड़ रुपये का तिलहन एवं कोपरा खरीदा। यह बताता है कि हमारी सरकार समर्थन मूल्य की कितनी बड़ी पक्षधर है।