नई दिल्ली, केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन की वजह से ट्रांसपोर्ट सिस्टम चरमरा गया है। खासतौर से दिल्ली बॉर्डर पर कई दिनों से प्रोटेस्ट कर रहे किसानों की वजह से ट्रकों की आवाजाही ठप हो गई है। हजारों ट्रक 10-12 दिनों से एक ही जगह खड़े हैं। अब तो ट्रकों में पड़े माल पर चूहों ने हमला बोलना शुरू कर दिया है। इससे व्यापारी चिंता में पड़ गए हैं।
चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि अलग-अलग ट्रेड के व्यापारियों के माल पर किसानों के आंदोलन का असर पड़ने लगा है। खाने-पीने की चीजें तो खराब होने लगी हैं। खाने पीने के सामानों के अलावा रबर और मोटर पार्ट्स को भी चूहे कुतर रहे हैं। इसकी भरपाई ट्रांसपोर्टर तो करेंगे नहीं। बीमा कंपनियों की तरफ से क्लेम मिलेगा या नहीं, इस पर भी अभी स्पष्टता नहीं है।
दिल्ली के एक व्यापारी ने मोटर वाहनों में लगने वाले फिल्टर को दिल्ली से गुजरात भेजा था। किसान आंदोलन की वजह से सामान तय समय के बाद डिलिवर हुआ। वहां जब माल खुला, तो पाया कि उसे चूहों ने कुतर दिया है। इसका पैसा गुजरात की पार्टी ने देने से मना कर दिया है। इसका नुकसान दिल्ली से माल भेजने वाले को उठना पड़ रहा है। कपड़े, ड्राईफ्रूट्स, किराने और मसालों के कारोबारी भी परेशान हैं।
इतना ही नहीं ट्रांसपोर्ट सिस्टम ठप होने से कच्चे माल की आवाजाही भी प्रभावित हो गई है। इसके चलते दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद, सोनीपत, गुरुग्राम, पानीपत, साहिबाबाद, ट्रॉनिका सिटी जैसी जगहों की फैक्ट्रियों में कच्चा माल नहीं पहुंच रहा है, जिससे प्रॉडक्शन कम हो गया है। दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (डीजीटीओ) प्रेसिडेंट राजेंद्र कपूर का कहना है कि पिछले 10-12 दिनों से ट्रांसपोर्टर्स की गाड़ियां जगह-जगह रुकी हुई हैं। खाने-पीने के प्रोडक्ट और दवाइयों की काफी गाड़ियां तो अपनी जगह पहुंच गई हैं, लेकिन जनरल गुड्स, इंडस्ट्रियल आइटम, बिल्डिंग मैटेरियल का सामान अभी भी फंसा हुआ है। हौजरी का सामान काफी गाड़ियों में अटका है।