जयपुर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान में अफ्रीकी चीता को बसाने के प्रयास तेज हो गए है एम्पावर्ड कमेटी मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के दौरे पर है इसी को लेकर एम्पावर्ड कमेटी के सदस्य प्रदेश के तीसरे टाइगर रिज़र्व मुकुंदरा हिल्स पहुंचा है यहां साइंटिफिक तरीके से फिजिबिलिटी रिपोर्ट चेक की जाएगी। वर्ष 2013 में मुकुंदरा टाइगर रिज़र्व अस्तित्व में आया इसके बाद वर्ष 2018 में यहां बाघों को बसाया जा सका।
तीन बाघों को रणथंभौर से लाया गया और एक बाघ स्वयं चलकर यहां पहुंचा था लेकिन मुकुंदरा टाइगर रिज़र्व लापरवाही की भेंट चढ़ गया. शावकों के साथ यहां बाघों का कुनबा जो 7 टाइगर्स हो गया था, वो मात्र 1 रह गया. 7 में से 6 टाइगर्स में से कुछ मर गए तो कुछ लापता हो गए. सबसे बड़ी बात यह थी कि एक बड़ा नर बाघ मुकुंदरा के 82 स्क्वायर किलोमीटर के अंदर से गायब हो गया, जिसके जि़ंदा होने के अभी तक कोई सबूत नहीं मिले हैं. वहीं, मुकुंदरा में बाघों की दुर्गति होने के बाद यहां चीतों को बसाने की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है, जिस पर वन्यजीव मामलों के जानकार सूत्रों नें कड़ी आपत्ति जताई है।जानकारों का कहना है कि वन्यजीवों की जि़ंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए बाघों एवं प्रस्तवित अफ्रीकी चीते को ऐसी जगह बसाया जाना चाहिए, जो उसके लिए अनुकूल हो. जालौर, बाड़मेर और जैसलमेर में चीते के लिए नए स्थान खोजे जा सकते हैं तो बाघों को कुंभलगढ़ एवं रामगढ़ विषधारी में बसा इन जगहों को पूर्ण टाइगर रिज़र्व का दर्जा सरकार को देना चाहिए. कुम्भलगढ़ टाइगर रिज़र्व का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास ऑलरेडी पेंडिंग है, वहीं मुकुंदरा में फिर से टाइगर को बसाया जाना चाहिए।