नई दिल्ली,एस्ट्राजेनेका टीका बनाने के लिए अनुबंधित एक भारतीय कंपनी के प्रमुख ने कहा कि टीका जनवरी तक कोरोना योद्धाओं और बुजुर्ग भारतीयों तक पहुंच सकता है। क्योंकि कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से विकसित होने वाली वैक्सीन की लाखों खुराक का निर्माण कर चुकी है, जबकि देर-सवेर परीक्षणों के परिणामों का इंतजार है। ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका ने दुनिया भर की कंपनियों और सरकारों के साथ आपूर्ति और विनिर्माण सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं। मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि एस्ट्राजेनेका के टीके ने पुराने वयस्कों में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की। फाइजर इंक और मॉडर्न इंक ने अंतिम परीक्षणों का डेटा भी जारी किया है। उनके टीके 90 फीसदी से अधिक प्रभाव दिखाते हैं। भारत फाइजर और मॉडर्न टीकों की प्रगति पर निगाह लगाए हुए है। वहीं, अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने कोरोना के टीके का आपात इस्तेमाल करने के लिए अमेरिकी नियामकों से मंजूरी देने की मांग की है। इससे पहले फाइजर इंक और जर्मनी की उसकी साझेदार बायोएनटेक ने घोषणा की थी कि एक बड़े अध्ययन में पता चला है कि उसका टीका कोविड-19 के हल्के और गंभीर संक्रमण में बचाने में 95 प्रतिशत तक प्रभावी प्रतीत हो रहा है। कंपनियों ने कहा कि बचाव और सुरक्षा के अच्छे रिकॉर्ड का मतलब है कि टीके को आपात इस्तेमाल का अधिकार दिया जाना चाहिए, जो खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) अंतिम जांच पूरी होने से पहले दे सकता है। फाइजर की घोषणा के एक दिन पहले देश में संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डा एंथनी फाउसी ने कहा कि मदद मिलने वाली है। साथ ही उन्होंने कहा कि मास्क लगाना छोड़ना और सुरक्षा के अन्य उपायों को त्यागने का अभी वक्त नहीं आया है। उन्होंने कहा, हमें जन स्वास्थ्य में वास्तव में दोगुना काम करने की जरूरत है और हमें उस मदद का इंतजार है।
भारत को अगले वर्ष जनवरी तक मिल सकता है कोरोना वायरस का टीका
