जबलपुर, आर्डनेंस फैक्टरी खमरिया (ओएफके) गेट क्रमांक-3 के समीप स्थित तालाब मे पिछले कई दिनों से देखे जा रहे मगरमच्छ मुर्गे की लालच में अंतत: वन विभाग के पिंजरे में कैद हो ही गए। वन विभाग एवं ओएफके प्रबंधन द्वारा बुलाई गई रेस्क्यू टीम के मेंबर्स ने गुरूवार की देर रात चलाए गए विशेष अभियान के बाद तालाब में देखे जा रहे मगरमच्छों को सुरक्षित पकड़ते हुए उन्हें परियट नदी में शुक्रवार की सुबह छोड़ दिया। जानकारी के मुताबिक ओएफके के गेट क्रमांक- 3 के समीप स्थित तालाब में बीते एक माह से दो मगरमच्छों को कर्मचारियों द्वारा देखा जा रहा था। उक्त मगरमच्छ तालाब के घाट में सहज ही धूप सेंकते हुए दिख जाते थे,लेकिन जैसे ही किसी की आहट पाते थे उक्त मगरमच्छ पानी में चले जाते थे। चूंकि तालाब में अत्याधिक पानी है,लिहाजा वन विभाग की टीम संसाधनों का अभाव बताते हुए रेस्क्यू करने से हाथ खड़े कर देती थी।वहीं आयुध निर्माणी में कार्यरत कर्मचारी संगठन और वर्क्स कमेटी लगातार प्रबंधन पर तालाब से मगरमच्छ के रेस्क्यू के लिए दबाव बना रहा था,क्योंकि छट पूजन के दौरान तालाब में काफी बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। परिस्थितियों को समझते हुए ओएफके महाप्रबंधन रविकांत ने मगरमच्छ के रेस्क्यू में माहिर घाना के धनंजय कुमार को बुलावाया।धनंजय कुमार ने वन विभाग की टीम राम में तालाब के समक्ष पिंजरे लगाए।जिसमें मुर्गे रखे गए।मुर्गे की गंध पाते ही रात 10 बजे पहला मगरमच्छ पिंजरे से आ गया।वहीं दूसरे मगरमच्छ को रात 12 बजे पकड़ा जा सका।दोनों मगरमच्छों को पिंजरे में कैद करने के बाद उन्हें वन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में परियट नदी में छोड़ दिया गया।परियट नदी मगरमच्छों का प्राकृतिक निवास माना गया है।
आखिरकार मुर्गे की लालच में पिंजरे में फंस ही गए दो मगर
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