नई दिल्ली, कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल उठ रहे हैं। लगभग आठ महीने से लोग अपने घरों में बंद हैं। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बावजूद भी हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं। क्योंकि अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बनी है। हालांकि कई देशों में इसकी तैयारी तेजी से चल रही है, लेकिन वह भारतीय बाजारों में कब तक आएगी, इसको लेकर संदेह है। एम्स डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के मुताबिक अगर कोरोना वैक्सीन तैयार भी हो जाती है तो सामान्य लोगों तक इसे पहुंचने में एक साल से अधिक का समय लग जाएगा। नेटवर्क 18 ग्रुप को दिए एक इंटरव्यू के दौरान डॉ। गुलेरिया ने बताया है कि आम लोगों के लिए 2022 तक भी कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं होगी।
उन्होंने कहा अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं होने वाला है। भारतीय बाजारों में इसकी दवाई आने में फिलहाल एक साल तक का समय लग सकता है। रणदीप गुलेरिया कोरोना वायरस मैनेजमेंट के लिए बनाए गए नेशनल टास्क फोर्स के भी सदस्य हैं। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा सामान्य लोगों के लिए कोरोना की वैक्सीन आने में एक साल से अधिक का समय लगेगा। भारत देश की जनसंख्या काफी ज्यादा है। हमें समय देना होगा और देखना होगा कि बाजार से इसे अन्य फ्लू वैक्सीन की तरह कैसे खरीदकर घर ले जा सकते हैं। असल में यही आदर्श सामान्य स्थिति होगी। कोरोना वायरस की वैक्सीन आने के बाद भारत के लिए क्या चुनौती होगी, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा हमारी प्राथमिकता इसके वितरण को लेकर होगी, जिससे कि यह देश के सभी हिस्सों तक वैक्सीन पहुंच सके। कोल्ड चेन मेंटेन करते हुए, पर्याप्त संख्या में सिरिंज और निडिल देश के महत्वपूर्ण हिस्सों तक पहुंचाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
एम्स डायरेक्टर ने कहा कि हमारे लिए अगली चुनौती यह जानने की होगी कि अगली खेप की वैक्सीन की क्या स्थिति है। क्योंकि वो पहले खेप में आने वाली वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा बेहतर होगी। उन्होंने कहा, ‘अगर दूसरे खेप में कोरोना की प्रभावी दवाई आती है तो हमें देखना होगा कि पहले खेप वाले का क्या करते हैं? कोर्स करेक्शन कैसे होता है? फिर हमलोग कैसे तय करते हैं कि किसको वैक्सीन ए (पहले वाली) और किसको वैक्सीन बी (बाद वाली) देने की जरूरत है? काफी कुछ निर्णय एक साथ लेने की जरूरत होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत ने शुक्रवार को ही विभिन्न देशों से कहा है कि कोरोना वायरस संकट से लड़ने में मानवता की मदद के लिए टीका उत्पादन और आपूर्ति में वह अपनी क्षमता का इस्तेमाल करेगा। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कई देश टीके की आपूर्ति के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं। मैं अपने प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दोहराता हूं कि इस संकट से लड़ने में मानवता की पूरी मदद करने के लिए टीका उत्पादन और वितरण की भारत की क्षमता का उपयोग किया जाएगा। भारत टीकों की आपूर्ति के लिए कोल्ड चेन और भंडारण क्षमता बढ़ाने में भी इच्छुक देशों की मदद करेगा।
श्रृंगला ने कहा भारत टीकों को विकसित करने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने कहा हम अपने कुछ सहयोगी देशों में तीसरे चरण के परीक्षणों की संभावना तलाश रहे हैं। हम टीके के विकास के क्षेत्र में अनुसंधान सहयोग के लिए भी उत्सुक हैं। इच्छा के आधार पर हम कुछ देशों में टीकों के संयुक्त उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। विदेश सचिव ने भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की चर्चा करते हुए कहा कि कुछ हफ्ते पहले करीब एक लाख मामले रोज सामने आ रहे थे और यह संख्या अब 50,000 से कम हो गयी है।
कोरोना की वैक्सीन आम लोगों तक 2022 के बाद ही पहुंच पाना संभव -डॉ गुलेरिया
