राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट ने मप्र में सात सभाएं कीं, लेकिन सिंधिया पर कुछ नहीं कहा

भोपाल, मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का प्रचार चरम पर है। ग्वालियर-चंबल अंचल की सीटें राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव की है। कांग्रेस ने यहाँ पार्टी छोड़कर कमल नाथ सरकार गिरा देने वाले सिंधिया को गद्दार करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सभी नेता भाजपा के नए नेता सिंधिया को निशाने पर ले रहे हैं। हमले की धार को और तेज करने के लिए कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सिंधिया के मित्र सचिन पायलट को मैदान में उतारा। इरादा तो सिंधिया को घेरने का ही था, लेकिन अंचल की सात विधानसभा सीटों पर हुई सभाओं में पायलट ने सिंधिया पर एक शब्द नहीं कहा।
कांग्रेस के इस युवा अस्त्र की चुप्पी से सिंधिया पर हमले की धार ही कुंद हो गई। ग्वालियर-चंबल अंचल की सात सीटों करैरा, पोहरी, जौरा, ग्वालियर पूर्व, मुरैना, मेहगांव और गोहद में प्रचार के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं को सबसे अधिक इंतजार पायलट का ही था।
राजस्थान से सटे इलाके और गुर्जर बहुल्य क्षेत्र होने से यहां के लिए इसी समाज के पायलट प्रदेश में कांग्रेस के झंडाबरदार कमल नाथ से अधिक चिर-परिचित चेहरे हैं। इलाके में भाजपा जहां अपना चुनाव प्रचार कमल नाथ सरकार बनाम भाजपा सरकार में विकास को मुद्दे पर केंद्रित किए हुए है, वहीं कांग्रेस सिंधिया को निशाना बनाते हुए युवा वोटरों में गद्दारी के मुद्दे को हवा दे रही है।
पायलट ने मप्र में सात सभाएं कीं, लेकिन सिंधिया पर कुछ नहीं कहा। उलटा पायलट पत्रकारों से चर्चा में कह गए- हर कोई फैसला करने के लिए स्वतंत्र है कि वह किस पार्टी में रहना चाहता है। अंतत जनता ही तय करती है, कौन गलत है और कौन सही। उधर, भाजपा सिंधिया के मुद्दे पर पायलट के रुख से खुश नजर आ रही है। वह इस दौरे को अपने पक्ष में ज्यादा देख रही है।

 

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