अयोध्या, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भूमिपूजन के बाद भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए तेजी से काम चल रहा है। नींव की खुदाई का काम अब तक एलएंडटी कंपनी कर रही है और अब राम मंदिर निर्माण में टाटा कंपनी को भी बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। जनपद के सर्किट हाउस में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समिति की बैठक में टाटा के अधिकारियों का शामिल होना इसी तरफ इशारा करता है। हालांकि इस मामले में ट्रस्ट और निर्माण समिति का कोई भी सदस्य खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। मंदिर निर्माण समिति की पहले चरण की बैठक समाप्त होने के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि मंदिर निर्माण एक लंबी प्रक्रिया है। निर्माण से जुड़ी तमाम योजनाओं पर चर्चा करने में समय लगता है। मंदिर हजारों साल तक यूं ही अपने स्थान पर खड़ा रहे, इस प्रकार का मजबूत निर्माण होना है इसलिए छोटी-छोटी बारीक चीजों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। टाटा के इंजीनियरों को बुलाकर उनसे भी विचार-विमर्श किया गया है। तकनीकी विषयों पर जानकारी ली गई है।
ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने यह भी कहा कि यह देश के करोड़ों राम भक्तों की आस्था का, उनके विश्वास का, उनकी श्रद्धा का मंदिर है इसलिए बेहद छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है। अभी बैठक का शुरुआती दौर है। लगातार दो दिनों तक चलने वाली निर्माण काम से जुड़ी और अन्य इकाइयों के साथ बैठक में बारीकी से हर एक बिंदु पर चर्चा हो रही है। निर्माण समिति की बैठक में राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के साथ राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र और ट्रस्ट के अन्य सदस्य विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र सहित टाटा कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञ शामिल रहे। बैठक में टाटा कंपनी के इंजीनियर के शामिल होने को लेकर कयास लगाया जा रहा है कि अब मंदिर निर्माण में टाटा कंपनी भी एक अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। हालांकि ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा का कहना है कि कंपनी के इंजीनियर से सलाह ली गई है। टाटा कंपनी की भूमिका पर अभी ट्रस्ट ने कोई निर्णय नहीं लिया है।