जबलपुर, आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपी सुरेश उपाध्याय व उसकी पत्नी पूर्व पार्षद एवं एमआईसी सदस्य अनुराधा उपाध्याय की अग्रिम जमानत याचिका जिला एवं सत्र न्यायालय से निरस्त कर दी गई। आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा विवेचना के बाद अभियोग पत्र के ईओडब्ल्यू के विशेष न्यायाधीश अजय सिंह के समक्ष पेश किया गया। जहाँ आरोपियों की ओर से जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया।
यह है मामला
आरोपी सुरेश उपाध्याय पीएचई के रिटायर्ड एसडीओ थे, वर्ष २०१९ में आरोपी सुरेश उपाध्याय उनकी पत्नी अनुराधा उपाध्याय और पुत्र सचिन उपाध्याय के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की गई थी। जांच के दौरान कई कंपनियों में हिस्सेदारी और कई एकड़ बेनामी जमीनों के दस्तावेज जब्त किए गए थे जांच में यह मामला ५०० सौ करोड़ से अधिक सपंत्ति से संबंधित पाया गया। जांच के उपरांत ईओडब्ल्यू की ओर से सुरेश उपाध्याय पर भ्रष्टाचार एवं आपराधिक षड़यंत्र कर बेनामी संपत्ति जमा करने की साज़िश में शामिल उनकी पत्नी अनुराधा व बेटे सचिन के खिलाफ धारा १२० व १३ (१) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना की गई।
समाज में पहुंचेगा विपरीत संदेश
अभियुक्त सुरेश उपाध्याय एवं अनुराधा उपाध्याय की ओर से उनके अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया। शासन की ओर से प्रभारी उपसंचालक शेख वसीम के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक सुश्री सारिका यादव के द्वारा शासन का पक्ष रखते हुये जमानत आवेदन का विरोध करते हुये बताया कि यदि आरोपीगण को जमानत का लाभ दिया जाता हैं तो आरोपी साक्ष्य को प्रभावित कर सकता हैं जिससे समाज में न्याय के प्रति विपरीत संदेश पहुॅचेगा। अभियोजन द्वारा दिए गए तर्को से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी सुरेश उपाध्याय व उनकी पत्नी का जमानत आवेदन निरस्त कर आरोपीगण को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया।